

मेलबर्न : केविन पीटरसन और दिनेश कार्तिक ने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉक्सिंग डे टेस्ट के पहले दिन गेंदबाजों के लिए बेहद अनुकूल मेलबर्न की पिच पर 20 विकेट गिरने के बाद तंज कसा कि जब स्पिनरों को अधिक विकेट मिलते हैं तो भारतीय पिचों की जानबूझकर कड़ी आलोचना की जाती है। मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) पर खेला गया चौथा टेस्ट मैच दूसरे दिन ही समाप्त हो गया। इस मैच में पहले दिन 20 और दूसरे दिन 16 विकेट गिरे जिससे यहां की पिच को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान पीटरसन ने एक्स पर लिखा, ‘भारत में जब टेस्ट मैच के पहले दिन कई विकेट गिरते हैं तो भारत को हमेशा कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ता है।
इसलिए मुझे उम्मीद है कि ऑस्ट्रेलिया को भी उसी तरह की आलोचना का सामना करना पड़ेगा। न्याय सबके लिए समान होना चाहिए।’ एमसीजी पिच पर 10 मिमी घास छोड़ने के फैसले से पिच से तेज गेंदबाजों को बहुत फायदा मिला जिससे बल्लेबाजी करना मुश्किल हो गया था। इंग्लैंड ने यह मैच चार विकेट से जीता। एशेज के पहले तीन मैच भी कुल मिलाकर 11 दिन तक चले। इस तरह से वर्तमान सीरीज में कुल 20 मैच दिनों में से केवल 13 दिन ही खेल हो पाया है। पर्थ में खेला गया पहला टेस्ट मैच भी दो दिन में समाप्त हो गया था। पूर्व भारतीय बल्लेबाज कार्तिक ने कहा, ‘एमसीजी की पिच साधारण नजर आ रही है। यकीन नहीं होता कि चार एशेज टेस्ट में से दो टेस्ट केवल दो दिन में खत्म हो गए। इतनी चर्चा के बावजूद चार एशेज टेस्ट सिर्फ 13 दिन में पूरे हो गए।’
पीटरसन और कार्तिक की टिप्पणियां इस पर आधारित थीं कि उपमहाद्वीप में ऐसा होने पर भारतीय स्पिनरों और पिचों को अक्सर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर 2020-21 की सीरीज के दौरान अहमदाबाद में टर्निंग पिच पर भारतीय स्पिनरों का सामना करने में इंग्लैंड की विफलता पर विशेषज्ञों ने जमकर आलोचना की थी। इंग्लैंड की टीम ने तब चेन्नई में पहला टेस्ट जीता था, लेकिन अगले तीन टेस्ट मैचों में रविचंद्रन अश्विन और अक्षर पटेल के सामने उसकी बल्लेबाजी बुरी तरह फ्लॉप रही। लेकिन एशेज में तेज गेंदबाजों के लिए अनुकूल पिचों को लेकर बहुत अधिक आक्रोश देखने को नहीं मिला है। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वान ने कहा, ‘यह पिच है या मजाक। यह खेल के साथ नाइंसाफी है। खिलाड़ी और प्रसारक और सबसे महत्वपूर्ण प्रशंसकों के लिए 98 ओवरों में 26 विकेट गिरना अच्छी बात नहीं है।’