

नई दिल्ली - अनिल अंबानी अपनी कंपनियों का कर्ज कम करने और कारोबार को गति देने के लिए कई पुनर्गठन योजनाओं पर काम कर रहे हैं। कर्ज का बोझ कम होने के साथ ही उनकी कंपनियों को नए ऑर्डर भी मिल रहे हैं। इसी क्रम में, उन्होंने एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया है। अंबानी ने रिलायंस ग्रुप की एकीकृत पावर यूटिलिटी कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को उसकी सहायक कंपनी रिलायंस वेलोसिटी लिमिटेड (RVL) के साथ विलय करने की घोषणा की है। इस प्रस्ताव को रिलायंस इंफ्रा के बोर्ड की मंजूरी भी मिल चुकी है।
पिछले साल ही कर दी गई थी घोषणा
अनिल अंबानी की कंपनी ने पिछले साल ही इस विलय की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य कारोबार को तेजी से विस्तार देना है। इस विलय के बाद रिलायंस वेलोसिटी लिमिटेड (RVL) पूरी तरह से रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर में समाहित हो जाएगी, जिससे RVL का अलग अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। यह कदम कंपनी के स्ट्रक्चर को अधिक संगठित और समेकित बनाने के लिए उठाया गया है। साथ ही, इस विलय से संचालन की दक्षता बढ़ेगी, खर्चों में कटौती होगी और लागत में बचत भी संभव होगी।
अनिल अंबानी रिलायंस कैपिटल बिकने जा रही है
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर बिजली, सड़क, मेट्रो रेल और रियल एस्टेट से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन सेवाएं प्रदान करती है। कंपनी ने रक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में कई परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया है और उनके रखरखाव का कार्य भी कर रही है। इस बीच, अनिल अंबानी की एक और कंपनी उनके नियंत्रण से बाहर होने वाली है। नीलामी प्रक्रिया के तहत उनकी कंपनी रिलायंस कैपिटल की बिक्री तय हो चुकी है। हिंदुजा समूह की सहायक कंपनी ने इसके लिए 9,685 करोड़ रुपये की सबसे ऊंची बोली लगाई है, और अब इस डील को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया चल रही है।