

नयी दिल्ली : सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसले में चार श्रम संहिताओं (लेबर कोड) को तत्काल प्रभाव से लागू करने की घोषणा की। ये 4 श्रम संहिताएं हैं - वेतन संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 तथा व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशाएं संहिता, 2020 हैं। पहले जो 29 अलग-अलग श्रम कानून थे, उनमें से जरूरी बातें निकालकर इन्हें अब 4 आसान और साफ नियमों में बदल दिया गया है। इन्हें 5 साल पहले संसद ने पास किया था। सरकार अब विस्तृत नियम और योजनाएं बनाने के लिए परामर्श शुरू करेगी। इस बीच जहां जरूरी होगा, मौजूदा श्रम कानूनों के प्रावधान लागू रहेंगे।
ग्रेच्युटी 1 साल में, ओवरटाइम का डबल पैसा
ग्रेच्युटी का टाइम घटाया इसमें गिग यानी अल्पकालिक अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा कवरेज, सभी के लिए अनिवार्य नियुक्ति पत्र शामिल हैं। नए कानून से कर्मचारी को 5 की जगह सिर्फ 1 साल में ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा।
महिलाओं के अधिकार बढ़े
अब महिलाएं नाइट शिफ्ट में काम, सभी तरह के काम (भूमिगत खनन और भारी मशीनरी सहित) की इजाजत, बशर्ते उनकी सहमति व सुरक्षा उपाय हों। शिकायत निवारण समितियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अनिवार्य किया गया। महिला के परिवार परिभाषा में सास-ससुर को जोड़ने का प्रावधान व डिपेंडेंट कवरेज को बढ़ाया गया है।
छंटनी आसान, काम के घंटे बढ़ाये
अब तक छंटनी या बंदी के लिए 100 से अधिक श्रमिकों वाले प्रतिष्ठानों को सरकारी अनुमति की जरूरत थी। अब 300 श्रमिकों तक अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी। साथ ही, फैक्टरियों में काम के घंटे 9 से बढ़ाकर 12 घंटे और दुकानों व प्रतिष्ठानों में 9 से बढ़ाकर 10 घंटे कर दिए गए हैं।सप्ताह में 48 घंटे काम का नियम रखा गया है, ओवरटाइम पर दोगुना पैसा देना होगा।
सबको मिलेगा PF का लाभ
सभी श्रमिकों को PF, ESIC, बीमा तथा अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ मिलेंगे। वेतन संहिता, 2019 के तहत सभी श्रमिकों को सरकार द्वारा तय फ्लोर वेज के हिसाब से वैधानिक न्यूनतम मजदूरी मिलेगी। नियमों के तहत 40 वर्ष से अधिक आयु के श्रमिकों को मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच, ओवरटाइम के लिए दोगुना वेतन, खतरनाक क्षेत्रों में श्रमिकों को 100 प्रतिशत स्वास्थ्य सुरक्षा तथा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार श्रमिकों को सामाजिक न्याय मिलेगा।
महिलाओं के अधिकार बढ़े
अब महिलाएं नाइट शिफ्ट में काम, सभी तरह के काम (भूमिगत खनन और भारी मशीनरी सहित) की इजाजत, बशर्ते उनकी सहमति व सुरक्षा उपाय हों। शिकायत निवारण समितियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अनिवार्य किया गया। महिला के परिवार परिभाषा में सास-ससुर को जोड़ने का प्रावधान व डिपेंडेंट कवरेज को बढ़ाया गया है।