WTO मानदंडों का उल्लंघन करती हैं भारत की EV पीएलआई योजनाएं : चीन

चीन, भारत को अपने इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्यात बढ़ाना चाहता है
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नयी दिल्ली : भारत की उन्नत रसायन सेल बैटरी, मोटर वाहन के उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं और इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की नीति की कुछ शर्तों को चीन ने वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन बताते हुए इनके खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत दर्ज कराई है। जिनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन के एक पत्र के अनुसार, चीन ने विश्व व्यापार संगठन के विवाद निपटान तंत्र के तहत इन उपायों पर भारत के साथ परामर्श की मांग की है। भारत और चीन दोनों विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सदस्य हैं। यदि किसी सदस्य देश को लगता है कि किसी अन्य सदस्य देश की नीति या योजना के तहत कोई सहायता उपाय उसके कुछ वस्तुओं के निर्यात को नुकसान पहुंचा रहा है, तो वह WTO के विवाद निपटान तंत्र के तहत शिकायत दर्ज कर सकता है। 

क्या है मामला : भारत के इलेक्ट्रिक वाहनों पर दी जा रही सब्सिडी को लेकर चीन की शिकायत ऐसे समय में आई है जब चीन, भारत को अपने इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्यात बढ़ाना चाहता है। भारत के मोटर वाहन बाजार के आकार और दायरे को देखते हुए चीनी इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माता इसे बिक्री बढ़ाने के एक प्रमुख स्रोत के रूप में देखते हैं।

क्या बताया कारण : चीन ने कहा कि भारत द्वारा अपनाए गए उपाय आयातित वस्तुओं की तुलना में घरेलू वस्तुओं के उपयोग पर निर्भर हैं और चीन में बने सामानों के साथ भेदभाव करते हैं। ये उपाय एससीएम (सब्सिडी एवं प्रतिपूरक उपाय) समझौते, जीएटीटी (शुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौता) 1994 और टीआरआईएम (व्यापार-संबंधित निवेश उपाय) समझौते के तहत भारत के दायित्वों के अनुरूप नहीं प्रतीत होते हैं। चीन, भारत का जवाब मिलने तथा परामर्श के लिए पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथि पर सहमति बनने की उम्मीद कर रहा है।

तीन योजनाओं का उल्लेख : अपनी शिकायत में चीन ने तीन कार्यक्रम उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना, उन्नत रसायन सेल (ACC) बैटरी भंडारण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम, मोटर वाहन एवं उसके घटक से जुड़े उद्योग के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना और भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना का उल्लेख किया है। विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुसार, परामर्श लेना विवाद निपटान प्रक्रिया का पहला चरण है। यदि भारत के साथ अनुरोधित परामर्श से कोई संतोषजनक समाधान नहीं निकलता है, तो विश्व व्यापार संगठन से उठाए गए मुद्दे पर निर्णय देने या निपटान के लिए एक समिति गठित करने का अनुरोध किया जा सकता है।

दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार : चीन, भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। गत वित्त वर्ष 2024-25 में, चीन को भारत का निर्यात 14.5 प्रतिशत घटकर 14.25 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया जो 2023-24 में 16.66 अरब अमेरिकी डॉलर था। हालांकि, आयात 2024-25 में 11.52 प्रतिशत बढ़कर 113.45 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया जो 2023-24 में 101.73 अरब अमेरिकी डॉलर था। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 2024-25 के दौरान बढ़कर 99.2 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।

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