West Asia से अधिक तेल खरीदेंगी भारतीय रिफाइनरी

रॉसनेफ्ट और ल्यूकऑयल से जुड़े सभी मौजूदा लेनदेन 21 नवंबर तक समाप्त हो जाने चाहिए
तेल उत्पादन
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नयी दिल्ली : सूत्रों और विश्लेषकों का मानना है कि दो रूसी तेल उत्पादक कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारतीय रिफाइनरी कंपनियां रूस से कच्चे तेल आयात में होने वाली कमी की भरपाई के लिए पश्चिम एशिया, लातिन अमेरिका और अमेरिका से कच्चे तेल की खरीद बढ़ा सकती हैं। अमेरिकी सरकार ने 22 अक्टूबर को रूस के दो सबसे बड़े कच्चे तेल उत्पादकों रॉसनेफ्ट और ल्यूकऑयल पर प्रतिबंध लगा दिए। इसके साथ सभी अमेरिकी संस्थाओं और व्यक्तियों को इन कंपनियों के साथ व्यापार करने से रोक दिया गया है। प्रतिबंधित रूसी तेल कंपनियों या उनकी अनुषंगी इकाइयों के साथ लेनदेन करते पाए जाने पर गैर-अमेरिकी फर्मों को भी दंड का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिकी वित्त विभाग ने कहा है कि रॉसनेफ्ट और ल्यूकऑयल से जुड़े सभी मौजूदा लेनदेन 21 नवंबर तक समाप्त हो जाने चाहिए।

क्या है स्थिति : भारत के कच्चे तेल आयात में इस समय लगभग एक तिहाई हिस्सा रूस का है। रूस ने भारत को वर्ष 2025 में औसतन लगभग 17 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का निर्यात किया। इसमें से लगभग 12 लाख बैरल प्रतिदिन तेल सीधे रॉसनेफ्ट और ल्यूकऑयल से आया। इनमें से ज्यादातर तेल निजी रिफाइनरी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और नायरा एनर्जी ने खरीदा था। सरकारी रिफाइनरी कंपनियों की इसमें कम हिस्सेदारी ही रही है। केप्लर के प्रमुख शोध विश्लेषक (रिफाइनिंग और मॉडलिंग) सुमित रितोलिया ने कहा कि 21 नवंबर तक रूसी कच्चे तेल की आवक 16-18 लाख बैरल प्रतिदिन के दायरे में रहने की उम्मीद है, लेकिन उसके बाद रॉसनेफ्ट और ल्यूकऑयल से सीधे आयात में गिरावट आ सकती है।

जोखिम से बचना चाहती हैं : जाहिर है कि भारतीय रिफाइनरी कंपनियां अमेरिकी प्रतिबंधों के किसी भी जोखिम से बचना चाहती हैं। रॉसनेफ्ट के साथ पांच लाख बैरल प्रतिदिन तक कच्चा तेल खरीदने का 25 साल का अनुबंध रखने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज उससे तेल आयात रोकने वाली पहली कंपनी हो सकती है। यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के कारण अन्य जगहों से आपूर्ति कम होने के बाद, नायरा एनर्जी के पास बहुत कम विकल्प हैं। कंपनी वर्तमान में पूरी तरह से रूसी तेल पर निर्भर है। फिर भी, रिफाइनरी तीसरे पक्ष के मध्यस्थों के जरिये रूसी ग्रेड का तेल लेना जारी रखेंगी, लेकिन यह काम बेहद सावधानी के साथ किया जाएगा।

कमी की भरपाई : रूस से प्रत्यक्ष आयात में कमी की भरपाई के लिए भारतीय रिफाइनरी पश्चिम एशिया, ब्राजील, लातिन अमेरिका, पश्चिम अफ्रीका, कनाडा और अमेरिका से खरीद बढ़ा सकती हैं। इक्रा लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और कॉरपोरेट रेटिंग्स के सह-समूह प्रमुख प्रशांत वशिष्ठ ने कहा कि रूसी तेल से दूरी बनाने से भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा। कुछ रूसी कच्चे तेल उत्पादकों पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से भारत की तेल खरीद पर असर पड़ने की संभावना है, क्योंकि इन आपूर्तिकर्ताओं की हिस्सेदारी कुल खरीद का लगभग 60 प्रतिशत है। सालाना आधार पर रूसी तेल की जगह बाजार मूल्य वाले कच्चे तेल को खरीदने से आयात बिल में दो प्रतिशत से कुछ कम की वृद्धि होगी।

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