FPI ने लिया U-turn, 12,569 करोड़ रुपये निकाले

भारतीय बाजार को अस्थिर करने की विदेशी चाल, क्या फिर होगी बिकवाली ?
1996 के बाद पहली बार लगातार 5 महीने से गिर रहा बाजार
Indian Share Market Crash : Biggest after 1996.
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नई दिल्ली : अक्टूबर में थोड़े विराम के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने बिकवाली फिर शुरू कर दी है। कमजोर वैश्विक संकेतों और जोखिम-रहित धारणा के बीच नवंबर में अब तक एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से 12,569 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है।

अक्टूबर में लिवाली नवम्बर में बिकवाली

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में एफपीआई ने शेयरों में 14,610 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था, जो लगातार कई महीनों की निकासी के बाद आया था। सितंबर में एफपीआई ने 23,885 करोड़ रुपये, अगस्त में 34,990 करोड़ रुपये और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये की निकासी की थी।

शेयर बाजार के ख़राब प्रदर्शन में FPI प्रमुख कारक

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि नवंबर के अब तक हर कारोबारी दिन जारी रही बिकवाली की नई प्रवृत्ति ने इस साल अन्य प्रमुख बाजारों की तुलना में भारत के खराब प्रदर्शन में योगदान दिया है।

उन्होंने बताया कि 2025 में एफपीआई गतिविधियों की एक प्रमुख विशेषता निवेश प्रवाह में विविधता रही है, जहां हेज फंड भारत में बिकवाली कर रहे हैं, जबकि अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे एआई-संचालित तेजी के लाभार्थी माने जाने वाले बाजारों में लिवाली कर रहे हैं।

AI के मामले में भारत कमजोर

उन्होंने बताया, ‘भारत को वर्तमान में एआई-आधारित कमजोर प्रदर्शन करने वाला देश माना जा रहा है, और यही धारणा एफपीआई की रणनीति को आकार दे रही है।’ हालांकि, विजयकुमार ने आगे कहा कि एआई-संबंधित मूल्यांकन अब बढ़ा हुआ है, और वैश्विक प्रौद्योगिकी शेयरों में संभावित बुलबुले का जोखिम भारत में निरंतर बिकवाली को सीमित कर सकता है।

दूसरी तिमाही के नतीजों से उमीदें

भारतीय कंपनियों के वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही के नतीजे उम्मीद से थोड़े बेहतर रहे हैं, खासकर मध्यम आकार के खंड में। लेकिन वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण विदेशी निवेशक निकट भविष्य में जोखिम भरी संपत्तियों के प्रति सतर्क रह सकते हैं। इस तरह 2025 में अब तक, एफपीआई ने 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है।

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