

नई दिल्ली : भारत अगले कुछ साल में प्रतिस्पर्धी तीव्रता, प्रीमियमीकरण और आर्थिक वृद्धि के बल पर मूल्य और मात्रा के लिहाज से सबसे बड़ा वैश्विक स्कॉच व्हिस्की बाजार बनने के लिए तैयार है। स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) मार्क केंट सीएमजी ने यह बात कही है।
सिंगल माल्ट व्हिस्की की भारत में बढ़ी मांग
मार्क केंट ने सिंगल माल्ट व्हिस्की बाजार में भारत के उभरने की सराहना करते हुए कहा कि स्कॉच व्हिस्की एसोसिएशन न केवल ब्रिटेन के बाजार में निर्यात के लिए, बल्कि अन्य वैश्विक बाजारों में भी साथ मिलकर संभावनाएं तलाश रहा है।
उन्होंने कहा कि वह भारतीय माल्ट व्हिस्की एसोसिएशन के साथ बात करने जा रहे हैं, क्योंकि वे विनिर्माण और साथ मिलकर काम करने में गुणवत्ता के महत्व पर समान विचार रखते हैं।
भारतीय और स्कॉटिश उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण
यह भारतीय और स्कॉटिश दोनों उद्योगों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। भारतीय कंपनियों के लिए ब्रिटेन को भारतीय सिंगल माल्ट के निर्यात को बढ़ावा देने और वैश्विक बाजारों के लिए साझेदारी बनाने का अवसर है।
मार्क केंट ने कहा कि भारत पहले से ही मात्रा के लिहाज से स्कॉच का सबसे बड़ा बाजार है, जहां से इसका निर्यात 180 बाजारों में होता है। हालांकि, मूल्य के मामले में यह शीर्ष पांच में शामिल है। उन्होंने आगे कहा कि वह भारत की संभावनाओं और यहां प्रीमियमीकरण के चलन को लेकर आशान्वित हैं।
भारत जल्द ही स्कॉच बाजार में अग्रणी बनेगा
मार्क केंट ने कहा कि अगर आप इसमें उन कारकों को भी जोड़ दें जिनसे हम भारतीय बाजार में वृद्धि देख रहे हैं, और यह तथ्य कि हम स्कॉच आयात के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी माहौल देखने जा रहे हैं, तो मुझे लगता है कि यह बहुत संभव है कि भारत जल्द ही अगले कुछ वर्षों में, मात्रा के लिहाज से सबसे बड़ा और मूल्य के लिहाज से सबसे बड़ा स्थान हासिल कर ले।
हालांकि, यह विश्व अर्थव्यवस्था से जुड़े कुछ कारकों पर भी निर्भर करेगा, लेकिन मार्क केंट ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत में ‘स्कॉच और व्हिस्की के बारे में बहुत अच्छी जानकारी’ है।