

नयी दिल्ली : घरेलू उद्योग की सुरक्षा के लिए कम लागत वाले चीनी पाइप आयात पर अंकुश लगाने के लिए सीमलेस ट्यूब मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसटीएमएआई) ने सरकार से सख्त कदम उठाने का आग्रह किया। संगठन ने कहा कि घरेलू मांग को पूरा करने के लिए देश में सीमलेस पाइप एवं ट्यूब की पर्याप्त उपलब्धता है। एसटीएमएआई के अध्यक्ष शिव कुमार सिंघल ने कहा कि घरेलू सीमलेस पाइप एवं ट्यूब उद्योग की स्थापित क्षमता लगभग 19.5 लाख मीट्रिक टन (एमएमटी) है जो 13.2 लाख मीट्रिक टन की कुल भारतीय मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त से अधिक है।
क्या है स्थिति : घरेलू सीमलेस पाइप उद्योग की सुरक्षा के लिए विभिन्न सुरक्षा उपायों के माध्यम से सरकार से मजबूत समर्थन के बावजूद समय के साथ चीनी पाइप आयात में खासकर पिछले तीन से चार वर्षं में तेजी से वृद्धि हुई है। सिंघल ने कहा कि चीन से आयात को रोकने में प्रयास काफी हद तक अप्रभावी साबित हुए हैं। चीनी आयातक कथित तौर पर सीमा शुल्क निकासी के समय बढ़े हुए मूल्य का ‘बिल’ दिखा रहे हैं, जबकि बाद में वे उन्हीं उत्पादों को भारतीय बाजार में घरेलू सीमलेस पाइप विनिर्माताओं की तुलना में काफी कम कीमत पर बेच रहे हैं।यह प्रथा निष्पक्ष व्यापार को कमजोर करती है और भारतीय उत्पादकों को गंभीर नुकसान पहुंचाती है। राजस्व खुफिया निदेशालय को इसकी जांच करनी चाहिए।
पर्याप्त उत्पादन क्षमता : सिंघल ने कहा कि घरेलू पाइप उद्योग ने पिछले कुछ दशकों में भारत में आयात-विकल्प उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण निवेश किया है जैसे कि ऑक्सीजन सिलेंडर पाइप और ड्रिल पाइप और अन्य जो सरकार की ‘मेक इन इंडिया पहल’ से मेल खाता है। इन महत्वपूर्ण उत्पादों के लिए पर्याप्त उत्पादन क्षमता स्थापित करने के बावजूद घरेलू मिलें ठेके हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही हैं तथा उनकी क्षमता का एक बड़ा हिस्सा अब भी पूरी तरह से उपयोग में नहीं आ रहा है।