

नयी दिल्ली : अमेरिका ने भारत के इस दावे को खारिज किया है कि वाशिंगटन का तांबे पर 50 प्रतिशत शुल्क (टैरिफ) लगाना, विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के तहत रक्षोपाय (सेफगार्ड) है। अमेरिका ने कहा कि उसकी वस्तुओं पर शुल्क रियायतों को निलंबित करने के भारत के प्रस्ताव का कोई आधार नहीं है। ये शुल्क एक अगस्त को लगाए गए थे। अमेरिका ने कहा कि तांबे के उत्पादों पर शुल्क धारा 232 के अनुसार लगाए गए हैं, जिसके तहत अमेरिकी राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान की आशंका के मद्देनजर ये कदम उठाए।
क्या है मामला
भारत अमेरिका को तांबे के उत्पादों का निर्यात करता है, इसलिए उसने सितंबर में डब्ल्यूटीओ के सुरक्षा समझौते के तहत इस मामले पर अमेरिका से परामर्श की मांग की है। भारत ने कहा कि ये शुल्क सेफगार्ड हैं। अमेरिका की ओर से छह नवंबर को जारी एक पत्र के अनुसार, ये कदम रक्षोपाय नहीं हैं। इसलिए इन उपायों के संबंध में सुरक्षा समझौते के तहत रियायतों या अन्य दायित्वों को निलंबित करने के भारत के प्रस्ताव का कोई आधार नहीं है।
डब्ल्यूटीओ का कोई भी सदस्य देश घरेलू उद्योग को किसी भी ऐसे उत्पाद के आयात में वृद्धि से बचाने के लिए, जो उद्योग को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा हो या पहुंचा सकता हो, डब्ल्यूटीओ के सुरक्षा समझौते के तहत रक्षोपाय कर सकता है। इसके तहत किसी उत्पाद के आयात को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित या सीमित किया जा सकता है। रक्षोपाय लागू करने से पहले किसी सदस्य देश को जांच करनी होती है और अन्य सदस्यों को इस बारे में बताना होता है।