बिहार के परिणाम जमीनी हकीकत नहीं दिखाते: भाकपा (माले)

महागठबंधन के तहत 20 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन शुक्रवार अपराह्न तक केवल एक सीट - घोसी पर आगे चल रही थी।
Dipankar Bhattacharya
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नयी दिल्ली : भाकपा (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने शुक्रवार को कहा कि बिहार चुनाव के नतीजे राज्य की ज़मीनी हकीकत से मेल नहीं खाते। चुनाव परिणाम के बारे में पूछे जाने पर भट्टाचार्य ने कहा कि यह समझ से परे है कि दो दशक से सत्ता में रही सरकार 2010 के अपने प्रदर्शन को कैसे दोहरा रही है।

भट्टाचार्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘ये नतीजे बिल्कुल अस्वाभाविक हैं; ये बिहार की जमीनी हकीकत से बिल्कुल मेल नहीं खाते।’ उन्होंने कहा, ‘दो दशक से सत्ता में रही सरकार 2010 के अपने प्रदर्शन को दोहरा रही है, यह समझ से परे है।’

उन्होंने शुक्रवार सुबह ‘X’ पर एक पोस्ट में कहा था कि बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद 7.42 करोड़ मतदाता थे और चुनाव के बाद जारी निर्वाचन आयोग के प्रेस नोट में यह आंकड़ा 7,45,26,858 बताया गया है। उन्होंने कहा, ‘3,00,000 से अधिक की बढ़ोतरी! ये ‘अतिरिक्त 2 एबी’ कहां से आए? क्या निर्वाचन आयोग इसका स्पष्टीकरण देगा?’

महागठबंधन के तहत 20 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन शुक्रवार अपराह्न तक केवल एक सीट - घोसी पर आगे चल रही थी। इससे पिछले विधानसभा चुनावों में, भाकपा (माले) एल ने 19 सीट पर चुनाव लड़ा था और 12 पर जीत हासिल की थी।

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