

नयी दिल्ली/ पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन के खराब प्रदर्शन के बाद RJD और कांग्रेस के बीच खींचतान बढ़ती दिख रही हैं। दोनों दलों के नेता अब एक-दूसरे को आईना दिखाने की भी कोशिश कर रहे हैं। दरअसल, हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में शामिल RJD ने 143 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन 25 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है, वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार 6 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सके। इसके अलावा महागठबंधन में शामिल मुकेश सहनी विकासशील इंसान पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। चुनाव परिणाम के बाद सभी दलों में समीक्षा बैठकों की शुरुआत हुई जिसमें हार के कारणों की तलाश की जा रही है।
‘एकला चलो’ की नीति
RJD जहां पटना में प्रमंडलवार बैठक कर खराब प्रदर्शन के कारणों को खोज रही है, वहीं कांग्रेस के नेता दिल्ली में समीक्षा बैठक कर रहे हैं। दिल्ली में आयोजित कांग्रेस की समीक्षा बैठक में कई नेताओं ने ‘एकला चलो’ की नीति अपनाने और संगठन की मजबूती पर बल दिया। वहीं, कई नेताओं ने चुनाव में दोस्ताना संघर्ष को भी जिम्मेदार बताया।
RJD के बिहार प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने कहा कि कांग्रेस अगर इस चुनाव में जो भी सीटें जीती है या जो भी वोट मिला है, वह RJD के कारण मिला है। बिहार में RJD के ही जनाधार हैं, यह कांग्रेस भी जानती है।
महागठबंधन विधायक दल के नेता बने तेजस्वी
बिहार में विपक्षी महागठबंधन के विधायकों ने RJD के तेजस्वी यादव को शनिवार को सर्वसम्मति से राज्य विधानमंडल में गठबंधन का नेता चुना। यह निर्णय सोमवार से विधानमंडल के शुरू हो रहे 5 दिवसीय सत्र से पहले तेजस्वी यादव द्वारा आयोजित एक बैठक में लिया गया। इस सत्र के दौरान 243 सदस्यीय विधानसभा के सभी नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलायी जाएगी।
बैठक के बाद RJD विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा, तेजस्वी यादव को राज्य विधानमंडल में महागठबंधन का नेता चुना गया है। निश्चित रूप से, वह विधानसभा में हमारी पार्टी के नेता भी होंगे। कांग्रेस के MLC एवं पार्टी की प्रदेश इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष समीर कुमार सिंह ने कहा, तेजस्वी यादव पर फैसला सर्वसम्मति से लिया गया। हमारे पास पर्याप्त संख्या बल है और वह विपक्ष के नेता भी होंगे।
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