

जयनगर : सर्दी की दस्तक के साथ ही कोलकाता से महज 50 किलोमीटर दूर जयनगर और बहरू क्षेत्र की पहचान बन चुके ‘’जयनगर मोआ’’ की इन दिनों धूम है। यहां के व्यवसायी मोआ को बनाने की तैयारियों के जोर-शोर से जुट गये हैं। नवंबर से जनवरी तक मिलने वाली यह अनोखी मिठाई खजूर के ताजा रस (नलेन गुड़) और विशेष ‘कनकचूर’ किस्म के धान के खोई से बनाई जाती है।
2015 में इसे भौगोलिक संकेत (जीआई टैग) भी मिल चुका है। सर्दी बढ़ते ही खजूर के पेड़ों से रस निकालकर नलेन गुड़ बनाने का काम शुरू हो गया है। मोआ कारीगर दिन-रात गुड़ और खोई तैयार करने में जुटे हैं। बाजार में भी दुकानों पर ताजा मोआ की खुशबू फैलने लगी है। सियालदह, आनंदपुर, नरेंद्रपुर सहित कोलकाता के विभिन्न इलाकों से लोग पहले से ही मोआ खरीदने जयनगर पहुँचने लगे हैं।
बहरू बाजार स्थित श्यामसुंदर मिष्ठान्न भंडार के मालिक रंजीत घोष ने ‘सन्मार्ग’ से बातचीत में कहा, “हमारा मोआ पुश्तैनी तरीके से बनता है। अब इसकी माँग भारत के संसद भवन से लेकर अमेरिका, कनाडा और स्वीडन तक पहुँच गई है। ‘मोआ हब’ खुलने के बाद शेल्फ लाइफ बढ़ेगी और कारोबार कई गुना बढ़ जाएगा। इसके लिए असली खजूर गुड़ और कनकचूर खोई जरूरी है। हम सात शियूली (कारीगर) रखकर काम कर रहे हैं।”आगे उन्होंने कहा कि मेरे ही हाथ से बने मोआ को जीआई टैग मिला है।
जल्द खुलेगा ‘मोआ हब’
जयनगर के विधायक विश्वनाथ दास ने बताया, 'मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रेरणा से जयनगर में ‘मोआ हब’ बनाया जा रहा है। नगर पालिका के मैदान में बहुत जल्द इसका उद्घाटन होगा। इससे सैकड़ों मोआ व्यवसायियों, गुड़ बनाने वालों और इससे जुड़े लोगों को बड़ा लाभ मिलेगा। मोआ हब के लिए पालिका की ओर से 2 सतक जगह मुहैया करवाया गया है। लगभग मोआ हब बनकर तैयार है। '
खरीददार भी उत्साहित
कोलकाता के आनंदपुर से आये निलय सरकार ने कहा, 'हर साल जयनगर मोआ खरीदने आता हूँ। स्वाद बेमिसाल है। रिश्तेदारों के लिए भी ले जाता हूँ।'
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