नई संसद में PM मोदी का पहला संबोधन, कहा… | Sanmarg

नई संसद में PM मोदी का पहला संबोधन, कहा…

PM Modi’s first address in the new Parliament, said…

नई दिल्ली : नई संसद में PM मोदी पहला संबोधन कर रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि आज का दिन इतिहास में अमर रहेगा। हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल ऐसे आते हैं जो अमर हो जाते हैं। 28 मई एक ऐसा दिन है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नई संसद की लोकसभा में पवित्र सेन्गोल स्थापित हो चुका है। पवित्र सेन्गोल को उसकी गरिमा मिल गई है।पीएम मोदी ने कहा कि यह नया भवन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपने को साकार करने का साधन बनेगा। यह नया भवन आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा। यह नया भवन विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते हुए देखेगा। नए रास्तों पर चलकर ही नए प्रतिमान गढ़े जाते हैं। आज नया भारत नए लक्ष्य तय कर रहा है। नया जोश है, नई उमंग है, दिशा नई है, दृष्टि नई है।

संसद भवन परिसर में हुई सर्व पंथ प्रार्थना

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि देश आजादी के 75 साल होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है। आज सुबह ही संसद भवन परिसर में सर्व पंथ प्रार्थना हुई है। मैं सभी देशवासियों को इस स्वर्णिम क्षण की बहुत बधाई देता हूं। यह सिर्फ भवन नहीं है यह 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। पीएम मोदी ने कहा कि आज नया भारत, नए लक्ष्य तय कर रहा है, नए रास्ते गढ़ रहा है। नया जोश है, नई उमंग है। नया सफर है, नई सोच है। दिशा नई है, दृष्टि नई है। संकल्प नया है, विश्वास नया है।

भारत है लोकतंत्र की जननी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है। Mother of Democracy भी है। भारत आज वैश्विक लोकतंत्र का भी बहुत बड़ा आधार है। लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ एक व्यवस्था नहीं, एक संस्कार है, एक विचार है, एक परंपरा है। हमारा लोकतंत्र ही हमारी प्रेरणा है, हमारा संविधान ही हमारा संकल्प है। इस प्रेरणा, इस संकल्प की सबसे श्रेष्ठ प्रतिनिधि हमारी ये संसद ही है।

असंख्य आकांक्षाओं को पूरा करने का अमृतकाल

पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी के बाद हमारे भारत ने बहुत कुछ खोकर अपनी नई यात्रा शुरू की थी। वो यात्रा कितने ही उतार-चढ़ावों से होते हुए, कितनी ही चुनौतियों को पार करते हुए आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुकी है। आजादी का यह अमृतकाल विरासत को सहेजते हुए, विकास को नए आयाम गढ़ने का अमृतकाल है। आजादी का ये अमृतकाल देश को नई दिशा देने का अमृतकाल है। आजादी का ये अमृतकाल अनंत सपनों को, असंख्य आकांक्षाओं को पूरा करने का अमृतकाल है।

 

 

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