बंगाल में बढ़ेगा निवेश! लैंड सीलिंग एक्ट पर ममता सरकार करेगी पुनर्विचार | Sanmarg

बंगाल में बढ़ेगा निवेश! लैंड सीलिंग एक्ट पर ममता सरकार करेगी पुनर्विचार

कोलकाता: गुरुवार को राज्य बजट में लैंड सीलिंग एक्ट पर पुनर्विचार करने की बात कही गयी जिसकी सराहना उद्योग जगत ने की। प्रस्तावित बजट में कहा गया है कि उद्योग व व्यवसाय में जमीनों के निजी मालिकाना पर लगने वाली सीलिंग एक बड़ी बाधा बनकर सामने आ रही है। इस बीच, केंद्र सरकार व कई राज्यों ने अर्बन लैंड सीलिंग एक्ट को रिपील कर दिया है। इस परिप्रेक्ष्य में बंगाल में भी अर्बन लैंड सी​लिंग एक्ट की मौजूदा उपलब्धता पर पुनर्विचार व निरीक्षण किया जायेगा। इसके अलावा वेस्ट बंगाल लैंड रिफॉर्म एक्ट के तहत भी लैंड सीलिंग के प्रावधानों पर पुनः निरीक्षण किया जायेगा।

क्या है लैंड सीलिंग एक्ट

दरअसल, शहरी संपत्ति के अधिग्रहण पर सीमा लगाने के लिए सीलिंग अधिनियम लागू किया गया था। इसने शहरी समूह में ‘खाली भूमि’ पर एक सीलिंग लगा दी। अधिकतम सीमा से अधिक शहरी भूमि का अधिग्रहण और ऐसी भूमि पर भवनों का निर्माण अधिनियम के तहत विनियमित है। ऐसे में पश्चिम बंगाल में 7 कट्ठा से अधिक की जमीन लेने पर अतिरिक्त जमीन पर सीलिंग लगती है। ऐसे में अगर 7 कट्ठा से अधिक जमीन कोई लेता है तो उसके लिये अलग-अलग कंपनियां खोलनी पड़ती हैं। अगर केंद्र व अन्य राज्यों के समान पश्चिम बंगाल भी लैंड सी​लिंग एक्ट को रिपील करता है तो अलग कंपनियां खोलने की आवश्यकता नहीं होगी।

क्या कहना है उद्योगपतियों का ?

क्रेडाई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (ईस्ट) नंदु बेलानी ने कहा, ‘लैंड सीलिंग एक्ट के कारण काफी विदेशी निवेशक पश्चिम बंगाल में नहीं आ रहे हैं। यह रिपील होता है तो काफी अच्छा कदम होगा। इससे राज्य सरकार को राजस्व मिलने के साथ ही काफी संख्या में विदेशी निवेशक भी बंगाल आयेंगे। इसके अलावा फॉरेन एक्सचेंज बढ़ेगा।’

मर्लिन ग्रुप के एमडी साकेत मोहता ने कहा, ‘मैं शहरी भूमि सीमा अधिनियम पर फिर से विचार करने और भूमि सुधार अधिनियम के प्रावधानों के तहत ऊपरी सीमा की फिर से जांच करने के निर्णय का स्वागत करता हूं। भविष्य में भूमि सीमा अधिनियम में संशोधन से बुनियादी ढांचे और आवास क्षेत्र के विकास में काफी तेजी आएगी।’ वहीं मर्लिन ग्रुप के चेयरमैन व क्रेडाई वेस्ट बंगाल के प्रेसिडेंट सुशील मोहता ने कहा, ‘मैं शहरी और सीलिंग विनियमन अधिनियम के साथ-साथ भूमि सुधार अधिनियम के तहत भूमि के सीलिंग कानूनों पर फिर से विचार करने के सरकार के कदम का स्वागत करता हूं। वास्तव में सेलिंग कानून पुराने हैं। इन्हें ऐसे समय में प्रख्यापित किया गया था जब देश की सामाजिक व आर्थिक स्थिति बहुत अलग थी। इस सदी में अब जब भारत एक आर्थिक महाशक्ति बनने जा रहा है, हमें सभी पुराने कानूनों में आधुनिकीकरण की जरूरत है। सीलिंग कानूनों के कारण काफी निवेशक पश्चिम बंगाल से दूर हैं। काफी संख्या में संस्थागत निवेशक यहां नहीं आ रहे व बंगाल में फंड भी नहीं आ रहा। अगर उक्त नियम रिपील होता है तो प​श्चिम बंगाल में निवेश के मामले में बड़ा बदलाव आयेगा।’

Visited 393 times, 1 visit(s) today
शेयर करे
0
0

Leave a Reply

ऊपर