West Bengal Potato Price: बंगाल में आलू की किमतों को लेकर बड़ी खबर, जरूर पढ़ें | Sanmarg

West Bengal Potato Price: बंगाल में आलू की किमतों को लेकर बड़ी खबर, जरूर पढ़ें

बंगाल: ओडिशा के खाद्य मंत्री कृष्णचंद्र पात्र ने विधानसभा में कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ओडिशा की बीजेपी सरकार को कमजोर करने के लिए आलू भेजने पर रोक लगा दी है। पश्चिम बंगाल सरकार ने घोषणा की है कि जब तक राज्य में नए आलू की आपूर्ति नहीं होती, पड़ोसी राज्यों में आलू भेजना बंद रहेगा। इस कदम के कारण ओडिशा, झारखंड, बिहार, असम और अन्य राज्यों में आलू की कीमतों में वृद्धि हो गई है।

 

पहले भी आलू की कीमतें बढ़ी थीं
कृष्णचंद्र पात्र का कहना है कि ममता बनर्जी ने ओडिशा की बीजेपी सरकार को परेशान करने के लिए यह कदम उठाया। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले को लेकर पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री से बातचीत की है, लेकिन पश्चिम बंगाल के कृषि विपणन मंत्री बचेराम मन्ना ने साफ किया है कि आलू की ट्रकों को कम से कम 40 दिनों तक राज्य की सीमा से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह कोई नई बात नहीं है, इससे पहले भी जब आलू की कीमतें बढ़ी थीं, ममता सरकार ने आलू की आपूर्ति को अन्य राज्यों में रोक दिया था।

 

आलू की अहमियत
आलू, प्याज और टमाटर भारतीय परिवारों में ‘आवश्यक’ सब्जियां मानी जाती हैं। इनकी कीमतें बढ़ने पर जनता का गुस्सा बढ़ता है और राजनीतिक दलों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। प्याज़ के उत्पादन में कमी के कारण केंद्र सरकार ने 8 दिसंबर, 2023 से 4 मई, 2024 तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब ममता बनर्जी की सरकार भी इसी तरह आलू की आपूर्ति रोककर स्थिति को नियंत्रण में करने का प्रयास कर रही है।

 

बंगाल देश का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य
पश्चिम बंगाल देश का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है, और यहां की 40% आलू की आपूर्ति अन्य राज्यों में की जाती है। इसलिए, इन राज्यों के लिए पश्चिम बंगाल का आलू बहुत महत्वपूर्ण है। व्यापारियों का कहना है कि आलू की आपूर्ति में रुकावट से बाजार में कई सालों से चले आ रहे व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ता है। 2014-15 में जब पश्चिम बंगाल ने अचानक आलू की आपूर्ति रोक दी थी, तो ओडिशा की बीजेडी सरकार ने ‘पोटैटो मिशन’ शुरू किया था, ताकि राज्य को आलू में आत्मनिर्भर बनाया जा सके। हालांकि, उस समय हिमगृहों की कमी के कारण यह मिशन सफल नहीं हो पाया। अब बीजेपी सरकार ने इस योजना को फिर से शुरू किया है और 58 हिमगृह बनाने की दिशा में काम कर रही है। क्या यह भविष्य के लिए संकेत है?

 

आलू की किमतों से राज्य परेशान
बाजार के रिश्ते लंबे समय तक चलते हैं, लेकिन अचानक सरकार की दखलअंदाजी से कई वर्षों के व्यापारिक संबंध टूट सकते हैं। आलू की कीमतें घटने से राज्यवासियों को राहत मिलती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसका असर सिर्फ आम जनता पर होता है। अधिक उत्पादन होने पर, राज्य सरकार को अन्य राज्यों में आलू की आपूर्ति के लिए परिवहन में सब्सिडी देना पड़ता है। 2019-2020 में यह सब्सिडी 96 लाख रुपये थी, जो राज्य के ही खजाने से आई थी।

 

इन दिनों व्यापारियों की स्थिति खराब
आलू व्यापारियों का कहना है कि पश्चिम बंगाल के बाजार में आलू की पर्याप्त आपूर्ति मौजूद है, लेकिन हिमगृहों से आलू की ट्रकों को बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। हालांकि, बाद में व्यापारियों ने इस फैसले को स्थगित कर दिया है। उनका कहना है कि जैसे ही नया आलू आता है, बाजार में इसकी मांग घटेगी और स्थिति सामान्य हो जाएगी। हालांकि आलू पश्चिम बंगाल की एक प्रमुख कृषि उत्पाद है, लेकिन इसकी उत्पादन, भंडारण और वितरण की कोई स्पष्ट नीति नहीं है। सरकार को चाहिए कि वह आलू की आपूर्ति, भंडारण और निर्यात के लिए स्पष्ट और सुनियोजित नीति बनाए। आलू ट्रकों को रोकने से हजारों क्विंटल आलू बर्बाद हो सकता है और अन्य राज्यों में खासी नाराजगी हो सकती है। ऐसे में सरकार को अपने कदम उठाने से पहले दीर्घकालिक समाधान की दिशा में सोचना चाहिए।

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