कोलकाता : एक युवक को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अदालत ने उसे जेल भेज दिया था। पुलिस के मुताबिक उसने पेड़ से फंदा लगा कर खुदकुशी कर ली। घर वालों ने उसकी हत्या का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट में रिट दायर की है। जस्टिस अमृता सिन्हा ने सोमवार को मामले की सुनवायी के बाद इस घटना की पुलिस जांच पर रोक लगा दी है।
इस मामले की सुनवायी के दौरान राज्य सरकार के एडवोकेट के पास जस्टिस सिन्हा के सवालों को कोई जवाब नहीं था। जस्टिस सिन्हा ने जानना चाहा कि घर वालों को खबर दिए बगैर और उनकी गैरमौजूदगी में शव का पोस्टमार्टम क्यों किया गया। पुलिस का दावा है कि एक्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में पोस्टमार्टम किया गया और इसकी वीडियोग्राफी की गई थी।
जस्टिस सिन्हा का अगला सवाल था कि इतनी जल्दी किस बात की थी। पुलिस की दलील थी कि वह बीमार था और इस वजह से उसने खुदकुशी कर ली थी। पर बीमारी क्या थी, क्या इलाज किया गया था, इस बाबत कोई जानकारी नहीं थी। उसके घर वालों को बीमारी की जानकारी क्यों नहीं दी गई इसका भी कोई जवाब नहीं था। उसे इलाज के लिए सेंट्रल मिदनापुर जेल में भेजा गया था। उसकी मौत पांच जुलाई की सुबह नौ बजे के करीब हुई थी। दूसरी तरफ उसे तमलुक महकमा जेल से मिदनापुर सेंट्रल जेल में भेजे जाने की स्वीकृति उसी दिन शाम को आई थी।
जस्टिस सिन्हा का सवाल था कि ऐसा क्यों हुआ पर इसका कोई जवाब नहीं था। एक नाबालिगा को भगाने के आरोप में पुलिस ने उसे हिमाचल प्रदेश से गिरफ्तार किया था और उसे एक जुलाई को अदालत में पेश किया गया था। जस्टिस सिन्हा ने इस मामले की पुलिस जांच पर रोक लगाने के साथ ही तमलुक और कोतवाली थाने के साथ ही तमलुक महकमा जेल और सेंट्रल मिदनापुर जेल के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने का आदेश दिया है। इसकी अगली सुनवायी दस जुलाई को होगी और उस दिन पुलिस को सीडी पेश करनी पड़ेगी।