मुख्य चुनाव आयुक्त विधेयक पर तेज हुई राजनीति
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : केंद्र सरकार ने गत गुरुवार को राज्यसभा में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन से संबंधित एक बिल पेश किया था, जिसे लेकर अब राजनीति तेज हो गयी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बिल पर मोदी सरकार की निंदा की और निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा अराजकता पर उतर आयी है और वह न्यायपालिका को नहीं मानती। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने ट्वीटर पर कहा कि इस सप्ताह सीईसी की नियुक्ति के लिए 3 सदस्यीय पैनल में सीजेआई की भूमिका महत्वपूर्ण है। हम चुनाव आयुक्त के चयन में सीजेआई की जगह कैबिनेट मंत्री को लाने का कड़ा विरोध करते हैं, माई लॉर्ड हमारे देश को बचाइए। आगे सीएम बनर्जी ने कहा कि इस प्रक्रिया से असुविधा होगी और वोटों में हेरफेर हो सकता है जिससे नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के प्रति इस घोर उपेक्षा पर सवाल उठाना चाहिए। हम भारत के लिए न्यायपालिका से अपील करते हैं कि माई लॉर्ड हमारे देश को बचाइए। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़े इस विधेयक पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाना है। वहीं अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट में कहा कि यह बिल दिखाता है कि प्रधानमंत्री संसद में बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट के किसी भी फैसले को बदल देंगे जो उन्हें पसंद नहीं आएगा।
गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया गया था विधेयक
विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने गत गुरुवार को राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक, 2023 पेश किया था। यह चुनाव आयुक्तों की सेवा की शर्तें और कार्य संचालन की शर्तें अधिनियम, 1991 को निरस्त करता है। इस बिल में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया, उनकी सेवा शर्तों और पदावधि के बारे में नए नियम का उल्लेख है। इसके मुताबिक चुनाव आयुक्तों का चयन प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक कैबिनेट मंत्री की तीन सदस्यीय समिति करेगी।
सीएम ममता ने कहा, ‘माई लॉर्ड, हमारे देश को बचा लो’
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