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Bihar: जब बाहुबली पप्पू यादव की बहन पर गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला ने ‘डाला था हाथ’?

कोलकाता: भारतीय राजनीति में जब कभी 1990 के दौर को याद किया जाता है तब उसमें उत्तर प्रदेश और बिहार के बाहुबलियों और गैंगस्टर के कई किस्से सामने आते हैं। यह वह दौर था, जब उत्तर प्रदेश और बिहार में कई बाहुबली हुए। जिनके बीच की लड़ाईयों की कहानी आज भी सुर्खियों में रहती है।

वैसे बिहार में 90 के दशक में अगड़ा बनाम पिछड़ा की लड़ाई में सबसे ज्यादा चर्चाओं में बाहुबली पप्पू यादव और आनंद मोहन सिंह के नाम की चर्चा होती है। दोनों ऐसे बाहुबली नेता था, जिनके नाम से ही उनके दुश्मन थरथर कांपते थे। लेकिन, दोनों की छवि अपने-अपने समाज में रॉबिनहुड की थी। ये वो बाहुबली थे जो न जगह देखते थे और न समय। एक बार तो दोनों लोकसभा के पटल पर ही आपस में एक दूसरे को देख लेने की धमकी दे दी थी।

लेकिन, आज की जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूं वो पप्पू यादव बनाम आनंद मोहन की नहीं बल्कि पप्पू यादव बनाम श्रीप्रकाश शुक्ला की बताने जा रहा है। हां! श्रीप्रकाश शुक्ला... ये वो शख्स था, जिसे पूर्वांचल कहें या उत्तर भारत का पहला गैंगस्टर कह सकते हैं। ये इतना खूंखार था कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक की सुपारी ले बैठा था। ये वो शख्स था जिसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार को एसटीएफ तक का गठन करना था।

किसने श्रीप्रकाश शुक्ला को बनाया अशोक सिंह?

श्री प्रकाश शुक्ला कितना खतरनाक था उसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि वो कभी भी पुलिस के हाथ जिंदा नहीं पकड़ा गया। वो AK47 जैसे हथियारों का शौकीन था। वो सूरजभान सिंह जैसे बाहुबलियों का करीबी था। सूरजभान सिंह ने ही श्रीप्रकाश शुक्ला को अशोक सिंह नाम दिया था। इसके नाम की चर्चा बिहार और उत्तर प्रदेश में इतनी थी कि खौफ का दूसरा पर्याय बन गया था श्रीप्रकाश शुक्ला। अब सवाल ये है कि क्यों श्रीप्रकाश शुक्ला और पप्पू यादव के बीच दुश्मनी हो गई थी? आखिर क्यों पप्पू यादव जो खुद एक बाहुबली थे वो भी श्रीप्रकाश शुक्ला को मारने के लिए यूपीएसटीएफ के सामने हाथ जोड़ने लगे थे।

आईपीएस की किताब से हुआ खुलासा

दरअसल ये किस्सा है जून 1998 का... जब बिहार में राबड़ी देवी की सरकार थी। उनके एक मंत्री थे बृज बिहारी प्रसाद, जिसे मारने के लिए श्रीप्रकाश शुक्ला बिहार आया था। यूपी एसटीएफ के गठन से लेकर श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर तक में अहम रोल निभाने वाले आईपीएस अधिकारी राजेश पांडेय की किताब 'वर्चस्व' में श्रीप्रकाश शुक्ला के बारे में कई खुलासे किए गए हैं। उन्हीं खुलासों की कहानियों में एक कहानी है बिहार के बाहुबली पप्पू यादव की डॉक्टर बहन की, जिसका हाथ श्रीप्रकाश शुक्ला ने हॉस्पीटल में पकड़ लिया था।

चरित्रहीन था श्रीप्रकाश शुक्ला

राजेश पांडेय की किताब की माने तो श्रीप्रकाश शुक्ला बेहद ही चरित्रहीन शख्स था। आलम यह था कि अपने गैंग के लोगों की बहन बेटियों पर हाथ डालने से भी वह नहीं हिचकता था। यही वजह थी कि शुरुआत में अपराध जगत में उसका सबसे खास सहयोग रहा आनंद उसकी हरकतों से परेशान होकर उससे अलग हो गया था क्योंकि वो उसकी बहन को भी नहीं छोड़ा था। वैसे श्रीप्रकाश के चरित्र की कहानियां हम कभी और कर लेंगे। अभी हम श्रीप्रकाश और पप्पू यादव की बहन की कहानी सुनाता है।

होता ये है कि जून का महीना था, बिहार में उस वक्त सबसे बड़े नेता लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी मंत्री बृज बिहारी प्रसाद के हत्या की सुपारी निकली थी। यह सुपारी श्रीप्रकाश शुक्ला ने उठाई थी। बृज बिहारी प्रसाद पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (IGMS) में भर्ती थे। उनकी हत्या के लिए श्रीप्रकाश शुक्ला उस अस्पताल में फर्जी एडमिट हुआ था। हालांकि, ये बात तो साफ नहीं कि किसने उसे एडमिट करवाया था लेकिन मोकामा के किसी डॉक्टर की मदद से सूरजभान सिंह ने श्रीप्रकाश शुक्ला को एडमिट करवाया था।

पप्पू यादव की बहन का पकड़ा हाथ?

श्रीप्रकाश शुक्ला अस्पताल में रहकर रोजाना बृज बिहारी प्रसाद की रेकी कर रहा था कि कब मौका मिले और वो बृज बिहारी को ठोककर निकल जाए। इसी दौरान उस अस्पताल में उस वक्त के बाहुबली पप्पू यादव की सगी बहन, जो एक की डॉक्टर हैं वो वहां इंटर्नशिप कर रही थी। पप्पू यादव की डॉक्टर बहन रोजाना मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की बीपी, शूगर एवं अन्य रूटीन चेकअप चार्ट मेंटेन करने आती थी। तभी अय्याश श्रीप्रकाश शुक्ला की नजर पप्पू यादव की बहन पर पड़ती है और वो उसकी बांह पकड़ लेता है।

तब पप्पू यादव की बहन कहती हैं कि तुम जानते हो तुमने किसका हाथ पकड़ा है। मेरे भाई तक इस बात का पता चलेगा तो तुम्हारा अंजाम क्या होगा? ये कोई नहीं जानता है। इसपर श्रीप्रकाश शुक्ला भी ताव में आ गया, कहा कि अपने भाई को बता देना... कल उसे भी अपने साथ लेकर आना और बता देना कि तुम्हारी मुलाकात अशोक सिंह से हुई थी। तब उसे पता चल जाएगा कि मैं कौन हूं।

पप्पू यादव हुए आगबबूला

जब इस बात की जानकारी पप्पू यादव को लगी तो वो गुस्से से आगबबूला हो गए। इसी बीच 13 जून, 1998 को इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के कैंपस में ही श्रीप्रकाश शुक्ला ने अपने AK47 से मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या कर दी और वहां से फरार हो गया। जब पप्पू यादव को यह मालूम हुआ कि जिसने उनकी बहन का हाथ पकड़ा था, उसी ने मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या की है तो पप्पू यादव और ज्यादा व्याकुल हो गए।

किताब के मुताबिक इसी दरम्यान जब पप्पू यादव को पता चला कि श्रीप्रकाश शुक्ला को पकड़ने के लिए यूपी एसटीएफ की टीम पटना आई है तो पप्पू यादव ने एसटीएफ के सामने हाथ जोड़कर आग्रह किया कि कैसे भी करके श्रीप्रकाश शुक्ला का काम तमाम किया जाए, उसने उनकी इज्जत पर हाथ डाला है।

ऐसे मारा गया श्रीप्रकाश शुक्ला

हालांकि, बीते दिनों एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में पप्पू यादव इस बात से साफ इंकार करते हैं कि श्रीप्रकाश शुक्ला ने उनकी बहन का कोई हाथ नहीं पकड़ा था क्योंकि उसने आईजीएमएस में कभी इंटर्नशिप ही नहीं किया था। वैसे इस घटना के तीन महीने बाद 23 सितंबर, 1998 को बीजेपी के नेता साक्षी महाराज की हत्या करने के इरादे से दिल्ली पहुंचे श्रीप्रकाश शुक्ला को यूपीएसटीएफ ने इंदिरापुरम इलाके में एनकांउटर में मार गिराया था।

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