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आजादी के 78 साल बाद मिजोरम पहुंची रेल लाइन, कुतुब मीनार से भी ऊंचा है बैराबी–सैरांग ब्रिज

कोलकाता: देश में आज भी एक राज्य ऐसा था। जहां पर ट्रेन नहीं जाती थी क्योंकि, वहां तक रेल लाइन नहीं बिछ पाई थी लेकिन, अब आजादी के 78 साल बाद देश के इस हिस्से में केंद्र सरकार ने नया रेलवे ट्रैक तैयार कर दिया है।

इसमें नार्थ फ्रंटियर रेलवे को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, तब जाकर अब आजादी के इतने सालों बाद मिजोरम की राजधानी आइजोल रेलवे के नक्शे में जुड़ पाया। बैराबी–सैरांग रेलवे लाइन अब तैयार हो गई है, जो यहां के लोगों के लिए लाइफलाइन साबित होगी।

13 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैराबी–सैरांग रेलवे लाइन का उद्घाटन करेंगे। वहीं इंजीनियरिंग की अद्भुत मिशाल ये है कि एक ब्रिज की ऊंचाई दिल्ली की कुतुब मीनार से भी ज्यादा है। ब्रिज की ऊंचाई 104 मीटर है, जबकि कुतुब मीनार 72.5 मीटर ऊंची है। यह रेल लाइन बन जाने से बैराबी से आइजोल तक पहुंचने में अब सिर्फ एक से डेढ़ घंटा ही लगेगा जबकि, पहले 5 से 6 घंटे लगते थे।

चुनौतीपूर्ण था रेलवे ट्रैक बनाना

नार्थ फ्रंटियर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी जयंत शर्मा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट का खाका 26 साल पहले 1999 में तैयार हुआ था। दुर्गम पहाड़ों, घने जंगलों और भारी बारिश ने शुरुआती सर्वे को ही बेहद चैलेंजिंग बना दिया। इतनी अवधि में कई बार सर्वे रिपोर्ट बदली गई।

यहां पर पहाड़ व जंगल काटकर उसे ब्रिज व ट्रैक के लायक बनाने में कई परेशानियां आयीं। इस दौरान करीब 33 मजदूरों की मौत हो गई जिनमें 26 बंगाल के ही थे। वहीं ट्रैक तक सामान पहुंचाने के लिए 200 किलोमीटर रोड बनाया गया ताकि ट्रैक को असेम्बल करने के लिए सामान को सही जगह तक पहुंचाया जा सके। असम-पश्चिम बंगाल से निर्माण सामग्री लानी पड़ी। इस रेल लाइन की लंबाई 51 किलोमीटर से ज्यादा है। चार स्टेशन बनाए गए हैं।

कोलकाता समेत नॉर्थ ईस्ट के ये राज्य सीधे रेल नेटवर्क से जुड़े

प्रोजेक्ट से पूर्वोत्तर के 8 राज्यों में से 4 त्रिपुरा (अगरतल्ला), असम (दिसपुर), अरुणाचल प्रदेश (ईटानगर) और मिजोरम (आइजोल) सीधे रेलवे नेटवर्क से जुड़ गये हैं। यह नॉर्थ ईस्ट के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए गेम चेंजर साबित होगा। इस परियोजना का उद्देश्य मिजोरम की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना, पर्यटन को बढ़ावा देना और राज्य को देश के अन्य हिस्सों से बेहतर तरीके से जोड़ना है।

क्या है परियोजना की खासियत

  • लागत : 8071 करोड़ रुपये

  • कुल लंबाई : 51.38 किलोमीटर।

  • ट्रैक स्पीड : 110 किलोमीटर प्रति घंटा।

  • स्टेशन : हार्तुकी, कौनपुई, मुलखांग और सैरांग।

  • सुरंग : 48 (कुल लंबाई 12.8 किमी)।

  • ब्रिज : 5 रोड ओवरब्रिज और 6 अंडरब्रिज, 55 बड़े और 87 छोटे ब्रिज।

  • सबसे ऊंचा ब्रिज : नंबर 196, ऊंचाई 104 मीटर।

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