नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ, प्रोटोकॉल और अविश्वास ने भारत-अमेरिका के रिश्तों में बड़ी दरार को और गहरा कर दिया है लेकिन इस पूरे मामले पर अब भी नई दिल्ली चुप है। रिपोर्टों के मुताबिक हाल के हफ्तों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चार फोन किए थे, लेकिन कथित तौर पर मोदी ने बातचीत करने से इनकार कर दिया, जिससे भारत-अमेरिका संबंधों में एक असामान्य ठहराव का संकेत मिलता है।
कुछ दिन पहले, जर्मन दैनिक समाचार पत्र फ्रैंकफर्टर अलगेमाइन ज़ीतुंग (FAZ) ने इसे ‘क्रोध और सावधानी’ का संकेत बताया, जबकि जापान के निक्केई एशिया ने कहा कि इस कदम ने ‘ट्रंप की हताशा को और बढ़ा दिया।
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50 प्रतिशत लगा दिया टैरिफ
वहीं वाशिंगटन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ दोगुना करके 50 प्रतिशत करने और रूसी कच्चे तेल के आयात पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने के बाद यह दरार और बढ़ गई। कथित तौर पर मोदी को लगा कि भारत को गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है और उन्होंने भारतीय किसानों और उद्योगों के हितों से समझौता नहीं करने की कसम खाई। लेकिन, नई दिल्ली ट्रंप के फोन न उठाने संबंधी इन रिपोर्टों पर चुप क्यों रही?
मोदी ने क्यों नहीं उठाया फोन?
अगर ये कॉल सच में नहीं उठाई गईं, तो क्या यह जानबूझकर किया गया था, या प्रोटोकॉल का मामला था? क्या ट्रंप ने मोदी के निजी फोन पर कॉल करके सुरक्षित राजनयिक चैनलों को दरकिनार कर दिया, जैसा कि वह अक्सर करते हैं? या क्या भारत को डर था कि ट्रंप फोन पर बातचीत के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर दावे कर सकते हैं, जैसा कि उन्होंने अतीत में भारत-पाकिस्तान तनाव में मध्यस्थता के मामले में किया था?
कठिन है डगर मोदी की
यहां तक कि व्हाइट हाउस के सूत्रों ने भी सोची-समझी चुप्पी साध रखी है क्योंकि नई दिल्ली ने कोई टिप्पणी नहीं की या अनौपचारिक रूप से एक शब्द भी कहने से इनकार कर दिया। इस बीच, मोदी शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के लिए चीन चले गए हैं। जो भारत की विदेश नीति में संभावित बदलाव का संकेत हैं लेकिन कुछ भी निश्चित नहीं है क्योंकि चीन भी उतना ही भरोसेमंद नहीं है। मोदी एक कठिन राह पर चल रहे हैं।
ट्रंप के फोन से भड़के मोदी
वहीं दूसरी तरफ ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट की माने तो 17 जून 2025 को ट्रंप ने पीएम मोदी को फोन किया। वे चाहते थे कि मोदी उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट करें। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच करीब 35 मिनट तक बात हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस मांग पर पीएम नरेंद्र मोदी भड़क गए थे। उन्होंने दो टूक में कहा कि भारत-पाकिस्तान सीजफायर में अमेरिका का कोई लेना-देना नहीं है।