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नेपाल की संसद भंग, अब 5 मार्च 2026 में होगा देश का अगला चुनाव

नई दिल्ली: नेपाल में केपी शर्मा ओली के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे को 48 घंटे बीतने तक चले मैराथन मंथन के बाद पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री बन गई हैं। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल- सेना और ‘जेन-जी’ प्रतिनिधियों में बैठक के बाद उनके नाम पर सहमति बनी।

राष्ट्रपति ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। इसके साथ ही संसद भंग कर दी गई है। देर रात कैबिनेट की पहली बैठक हुई जिसमें 6 महीने बाद 5 मार्च 2026 को आम चुनाव कराने पर सहमति बनी। साथ ही अन्य किसी मंत्री को शपथ नहीं दिलाई जाएगी, न आंदोलनकारी किसी रूप में सरकार में शामिल होंगे।

मरने वालों का आंकड़ा पहुंचा 51

इस बीच देश में जारी हिंसा में मरने वालों का आंकड़ा 51 पर पहुंच गया है, जबकि 1700 से ज्यादा लोग घायल हैं। विरोध प्रदर्शन के 5वें दिन 17 मौतों की पुष्टि हुई। इनमें गाजियाबाद की महिला भी शामिल है। होटल उद्योग को 25 अरब नेपाली रुपये (16 अरब भारतीय रुपये) का नुकसान हो चुका है।

अंतरिम प्रधानमंत्री पर बातचीत शुक्रवार सुबह 9 बजे फिर से शुरू हुई। राष्ट्रपति संसद भंग करने को तैयार नहीं थे लेकिन कार्की ने तर्क दिया कि पहले संसद को भंग किया जाना चाहिए, क्योंकि संसद कायम रहते हुए गैर-सांसद को प्रधानमंत्री नहीं बनाया जा सकता।

इसके बाद संसद भंग पर सहमति बनी। राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 61 के तहत कार्की को पद की शपथ दिलाई, जबकि इस अनुच्छेद में प्रधानमंत्री का कोई जिक्र ही नहीं है। यह अनुच्छेद राष्ट्रपति को संविधान की रक्षा की शक्ति देता है, इसी के तहत कार्की को अंतरिम पीएम बनाया गया है।

एक नजर में पूरा घटनाक्रम

  • सुशीला कार्की को अंतरिम पीएम बनाने पर राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल- सेना और ‘जेन-जी’ प्रतिनिधियों में सहमति बनी, संसद भंग करने को भी सहमत हुए।

  • काठमांडू में हालात सामान्य। सेना की गश्त जारी।

  • भारत ने विशेष उड़ानों से नागरिकों को निकालना शुरू किया, आंध्र प्रदेश के 140 लोग सुरक्षित लौटे

  • दिल्ली-काठमांडू बस नेपाल में फंसी है

  • भारतीय वॉलीबॉल टीम को भारतीय दूतावास ने बचाया

  • एसएसबी ने नेपाल की जेल से भागे 67 कैदियों को भारत में घुसने से पकड़ा

  • राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 61 के तहत कार्की को पीएम बनाया

  • प्रधानमंत्री अनुच्‍छेद 76 के तहत बनते हैं, पर राष्ट्रपति ने संविधान की रक्षा के लिए अनुच्‍छेद 61 की विशेष शक्ति का उपयोग किया

  • राजनीतिक दलों ने संसद भंग का विरोध किया

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