Supermoon 
कोलकाता सिटी

कार्तिक पूर्णिमा पर दिखा साल का सबसे बड़ा चांद

साल का सबसे बड़ा चांद: सुपरमून की खगोलीय घटना

कोलकाता : कार्तिक पूर्णिमा पर बुधवार की रात भारत सहित दुनियाभर में साल का सबसे बड़ा चांद यानी सुपरमून दिखाई दिया। यह साल का दूसरा सुपरमून है। इस दौरान चंद्रमा का आकार सामान्य से लगभग 14 गुना बड़ा दिखा। साथ ही 30% ज्यादा चमकीला भी नजर आया। सुपरमून तब होता है, जब पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी सबसे कम हो जाती है।

इस वजह से चांद ज्यादा बड़ा और चमकीला दिखाई देता है। सुपरमून को देखने पर ऐसा लगा जैसे यह पृथ्वी के करीब आ रहा है। 5 नवंबर का चांद पृथ्वी से करीब 3,57,000 किलोमीटर की दूरी पर रहा। यह सामान्य पूर्णिमा की तुलना में लगभग 27,000 किलोमीटर पास है। आमतौर पर चंद्रमा सबसे दूर 4,05,000 किलोमीटर और सबसे करीब 3,63,104 किलोमीटर दूर होता है।

क्या है सुपरमून?

सुपरमून एक ऐसी खगोलीय घटना है, जिसमें चांद अपने सामान्य आकार से ज्यादा बड़ा दिखाई देता है। सुपरमून हर साल तीन से चार बार देखा जाता है। इस दौरान चांद धरती का चक्कर लगाते-लगाते उसकी कक्षा के बेहद करीब आ जाता है। इस स्थिति को पेरिजी कहा जाता है। वहीं, चांद के धरती से दूर जाने पर उसे अपोजी कहते हैं। एस्ट्रोलॉजर रिचर्ड नोल ने पहली बार 1979 में सुपरमून शब्द का इस्तेमाल किया था।

पूर्णिमा और सुपरमून में क्या रिश्ता है?

हर 27 दिन में चांद पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लेता है। 29.5 दिन में एक बार पूर्णिमा भी आती है। हर पूर्णिमा को सुपरमून नहीं होता, पर हर सुपरमून पूर्णिमा को ही होता है। चांद पृथ्वी के आसपास अंडाकार रेखा में चक्कर लगाता है, इसलिए पृथ्वी और चांद के बीच की दूरी हर दिन बदलती रहती है।

जुलाई में होता है सुपर बक मून

जुलाई में नजर आने वाले सुपरमून को बक मून भी कहा जाता है। हिंदी में बक का मतलब वयस्क नर हिरण होता है। ऐसा साल के उस समय के संदर्भ में कहा जाता है, जब हिरणों के नए सींग उगते हैं। वहीं, कुछ जगहों में जुलाई के सुपरमून को थंडर मून भी कहा जाता है, क्योंकि इस महीने में बादल गरजना और बिजली कड़कना आम बात है।

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