नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन ने लगभग एक सप्ताह पहले हुए एक हमले के प्रतिशोध में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के आतंकवादियों और उनके ठिकानों को ‘‘नष्ट’’ करने के लिए शुक्रवार को सीरिया में सैन्य हमले शुरू किए। करीब एक सप्ताह पहले घात लगाकर किए गए हमले में दो अमेरिकी सैनिक और एक अमेरिकी दुभाषिया मारे गए थे।
हमले में 70 ठिकानों को निशाना बनाया गया है
अमेरिका के एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी सेना ने ‘‘बड़े पैमाने पर’’ हमला किया जिसमें मध्य सीरिया के उन इलाकों में 70 ठिकानों को निशाना बनाया गया जहां आईएस का ढांचा और हथियार मौजूद थे। अमेरिका के एक अन्य अधिकारी ने अपना नाम गोपनीय रखे जाने की शर्त पर कहा कि और भी हमले किए जा सकते हैं।
लड़ाकू विमान का किया गया इस्तेमाल
अधिकारियों ने बताया कि इस हमले में एफ-15 ईगल विमानों, ए-10 थंडरबोल्ट विमानों और एएच-64 अपाचे हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया गया। एक अधिकारी ने बताया कि जॉर्डन के एफ-16 लड़ाकू विमान और हिमर्स रॉकेट तोपखाने का भी इस्तेमाल किया गया।
रक्षा मंत्री ने इसे बदले की कार्रवाई बताया
अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने सोशल मीडिया मंच पर लिखा, ‘‘यह युद्ध की शुरुआत नहीं है बल्कि यह बदले की घोषणा है। राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका अपने लोगों की रक्षा के लिए कभी हिचकिचाएगा नहीं और कभी पीछे नहीं हटेगा।’’ सीरियाई रेगिस्तान में पिछले सप्ताह हुई गोलीबारी के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘‘कड़ी जवाबी कार्रवाई’’ करने का संकल्प लिया था और इन हमलों के लिए उन्होंने आईएस को जिम्मेदार ठहराया था।
IS के गढ़ों पर निशाना
मारे गए सैनिक उन सैकड़ों अमेरिकी सैनिकों में शामिल थे जो आतंकवादी संगठन के खिलाफ गठबंधन के तहत पूर्वी सीरिया में तैनात हैं। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक ‘पोस्ट’ में कहा कि ये हमले आईएस के ‘‘गढ़ों’’ को निशाना बनाकर किए जा रहे हैं। उन्होंने सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा के प्रति अपना समर्थन दोहराते हुए कहा कि वह (सीरियाई राष्ट्रपति) इस अभियान का ‘‘पूरी तरह समर्थन’’ कर रहे हैं। उन्होंने आतंकवादियों को चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘जो भी आतंकवादी अमेरिका पर हमला करने या धमकी देने की हिम्मत करेंगे, उन्हें पहले से कहीं ज्यादा कड़ा जवाब मिलेगा।’’