नई दिल्ली: वर्ष 2025 में प्रमुख वैश्विक शक्तियों ने नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर कम किया, जबकि इस दौरान भारत ने एक बड़ा मुकाम हासिल किया। इस दौरान भारत की स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से आने लगा। उसने यह लक्ष्य पेरिस समझौते के तहत तय 2030 की समयसीमा से पांच साल पहले हासिल कर लिया।
भारत की उत्पादन क्षमता 510 गीगावॉट
दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था भारत की कुल स्थापित उत्पादन क्षमता अब करीब 510 गीगावाट हो गई है, जिसमें 247 गीगावॉट जीवाश्म ईंधन आधारित और 262 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से है। गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों में 254 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा से है।
50 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ी
भारत ने 2025 में लगभग 50 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ी, जिसके लिए करीब दो लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया। इससे देश की कुल गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता लगभग 262 गीगावाट तक पहुंच गई। सरकार को उम्मीद है कि 2026 में भी इसी रफ्तार से क्षमता जोड़ी जाएगी। हालांकि भूमि अधिग्रहण, मार्ग अधिकार और बिजली खरीद समझौतों (पीपीए) पर हस्ताक्षर में देरी जैसी चुनौतियां नई परियोजनाओं को सीमित कर रही हैं।
2025 में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि 2025 में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई, जिसमें जनवरी से नवंबर के बीच करीब 45 गीगावाट नवीकरणीय क्षमता जोड़ी गई। इसमें लगभग 35 गीगावाट सौर ऊर्जा का योगदान रहा। उन्होंने कहा, ''दिसंबर के अंत तक हम करीब 48–50 गीगावाट पर पहुंच जाएंगे। भविष्य उज्ज्वल है और नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित होगा।'' उन्होंने जोड़ा कि 2026 में भी यह गति बनी रहने की उम्मीद है।
50 प्रतिशत से अधिक बढ़ी
उद्योग के अनुमान के मुताबिक प्रति मेगावाट निवेश आवश्यकता लगभग चार करोड़ रुपये है। इस तरह 50 गीगावाट क्षमता जोड़ने के लिए करीब दो लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ।प्रीमियर एनर्जीज के मुख्य व्यवसाय अधिकारी विनय रुस्तगी ने कहा कि 2025 नवीकरणीय ऊर्जा के लिए बेहद सक्रिय साल रहा।
उन्होंने बताया कि नई परियोजनाओं को चालू करने की रफ्तार पिछले साल की तुलना में 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ी, जिसमें पीएम सूर्य घर योजना और पीएम कुसुम योजना से बड़ा प्रोत्साहन मिला।