क्या बाघिन ‘जीनत’ फसेगी नायलॉन के जाल में… | Sanmarg

क्या बाघिन ‘जीनत’ फसेगी नायलॉन के जाल में…

 

उसके पैरों के निशान तालाबों के किनारे मिले
जंगल के पास रहमदा गांव के लोग भयभीत
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : बाघिन जीनत ने लोगों की नींद उड़ा दी है। ओडिशा के सिमलीपाल से झारखंड होते हुए इस राज्य में प्रवेश करने वाली बाघिन का डेरा झारग्राम जंगल के रास्ते अभी भी पुरुलिया में है। पुरुलिया के बंदवान की रायका पहाड़ी जंगल उसका अड्डा बना हुआ था। जीनत पुरुलिया के जंगल में घूम रही है। वन विभाग अब नये तरकीब अपनाने जा रहा है। बाघिन को जाल में फंसाने के लिए नायलॉन के जाल का इस्तेमाल होगा।


एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में नायलॉन का जाल लगाया
वन विभाग ने बाघिन ‘जीनत’ को निकटवर्ती मानव बस्तियों में घुसने से रोकने के लिए पुरुलिया जिले के बंदवान वन क्षेत्र के किनारे एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में नायलॉन का जाल लगाया है। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को बताया कि दो सप्ताह पहले ओडिशा के सिमिलिपाल आरक्षित वन क्षेत्र (एसटीआर) से भटककर पहुंची बाघिन इस समय पुरुलिया जिले में है और उसे पकड़ने के प्रयास जारी हैं। मुख्य वन संरक्षक एस कुलंदैवेल ने कहा कि बाघिन को आखिरी बार बंदवान वन क्षेत्र के भीतर एक पहाड़ी के पास कंटीली झाड़ियों में देखा गया था। उन्होंने कहा, ‘‘हमने बाघिन को निकटवर्ती मानव बस्तियों में जाने से रोकने के लिए एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में नायलॉन का जाल लगा दिया है और स्थानीय ग्रामीणों को उसकी मौजूदगी के बारे में सूचित कर दिया है।’ उन्होंने कहा कि रेडियो कॉलर की मदद से उसकी गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि कुछ स्थानों पर तीन ‘ट्रैंक्विलाइजिंग’ दलों को तैनात किया गया है। कुलंदैवेल ने बताया कि जाल लगाने का काम सुंदरबन बाघ अभयारण्य के कर्मियों द्वारा किया गया है, जिन्हें इस मामले में विशेषज्ञता हासिल है। ओडिशा वन विभाग के दल भी जीनत की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं।
स्मार्ट कैमरे की निगरानी में बाघिन…
मुख्य वन्यजीव वार्डन देबल रॉय ने कहा कि ‘‘उसकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर स्मार्ट कैमरे लगाए जा रहे हैं।’’ ‘जीनत’ छह दिन पहले झारखंड से पश्चिम बंगाल पहुंची थी और तीन दिन तक झारग्राम तथा पश्चिमी मेदिनीपुर जिलों में घूमने के बाद वह पुरुलिया पहुंची। अभी तक उसने सिमिलिपाल में अपने मूल प्रवास स्थान पर वापस लौटने का कोई संकेत नहीं दिया है।
तालाब तक आई ‘जीनत’ ! खौफ में लोगों की नींद उड़ी
बाघिन पुरुलिया के जंगल में घूम रही है। वहीं उसे पकड़ने के लिए चारा के रूप में उपयोग की गयी बकरी तो बची हुई है पर जंगल में चरने गयी बकरियों में एक बकरी का आधा अंग ही मिला है। ग्रामीणों का अनुमान है कि उनकी बकरियों की मौत बाघिन के हमले से हुई है। मंगल को बकरी के आधा शरीर मिलने के बाद जीनत बुधवार सुबह गांव के तालाब में पानी पीने आई। वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक, उसके पैरों के निशान तालाबों के किनारे मिले हैं। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बुधवार को उसने अपना ठिकाना बदल लिया है। जंगल के पास रहमदा गांव के लोग भयभीत हैं। वन विभाग के मुताबिक, बुधवार सुबह जीनत के पैरों के निशान गांव के नेपितपुकुर के किनारे मिले। इसके बाद वन कर्मियों ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। राइका हिल्स में बाघिन को पकड़ने के लिए तीन पिंजरों का इस्तेमाल किया जा रहा था।

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