नई दिल्ली: इनदिनों सूरज में कई तरह के बदलाव देखे जा रहे हैं। ISRO के आदित्य एल-1 ने कुछ ऐसी तस्वीरें खींची है जिसने दुनियाभर के वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है। ये तस्वीरें सूरज पर आए भयानक सौर तूफान की है। ये सौर तूफान सूरज से निकलकर पृथ्वी की ओर आ रहा है। बताया जा रहा है कि सूरज से एक ऐसी सौर लहर निकली है जो पिछले 50 साल में सबसे भयंकर है। ये धरती की ओर आ रही है। जिसकी तीव्रता X8.7 बताई जा रही है। ये सौर लहर सूरज के उसी धब्बे से निकली है जहां 11 से 13 मई के बीच दो बार विस्फोट हुआ था।
आदित्य एल-1 ने कैप्चर की सौर लहर
सूरज से निकलने वाली इन लहरों को इसरो के सूर्ययान आदित्य-एल1 (Aditya-L1) ने कैप्चर की हैं। बताया जा रहा है कि आदित्य-एल1 ने 11 मई को X5.8 तीव्रता की सौर लहरों को कैप्चर किया था। हालांकि राहत की बात ये है इस सौर लहरों से भारत में कोई नुकसान नहीं होगा। इसरो ने कहा कि भारत और उसके आसपास का इलाका सौर तूफान की चपेट में नहीं आया। इस सौर लहरों का असर ज्यादातर अमेरिकी और प्रशांत महासागर के ऊपरी इलाकों में देखने को मिलेगा।
NASA ने की सौर तूफान की पुष्टि
इतना ही नहीं इसरो के इस ऑब्जरवेशन की नासा ने भी पुष्ट की है। वहीं NOAA के स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर ने 14 मई ही सूरज से खतरनाक सौर लहर को निकलते देखा। बताया गया कि ऐसी लहरें पिछली आधी सदी में नहीं निकली थी। इसकी वजह से धरती पर रेडियो ब्लैकआउट्स होने की संभावना बढ़ गई है। हालांकि इसका असर खासतौर पर मेक्सिको में देखने को मिल सकता है।
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सूरज में हुए चार दिन में तीन बड़े धमाके
बताया जा रहा है कि सूरज में 11 से 14 मई के बीच चार बड़े धमाके हुए। हैरानी की बात ये है कि ये सभी धमाके एक ही स्थान पर हुए। जिसकी वजह से सप्ताह के आखिर में भयानक सौर तूफान आया। बताया जा रहा है कि सूरज में अब भी धमाके हो रहे हैं। 10 मई को सूरज में में एक एक्टिव धब्बा नजर आया था। जिसे AR3664 नाम दिया गया था। उसके बाद इसमें तेज विस्फोट हुआ। इसके बाद सूरज की एक लहर धरती की ओर तेजी से बढ़ी. जो X5.8 क्लास की सौर लहर थी।
रेडियो सिग्नल पर पड़ता है असर
जानकारी के मुताबिक, इस तरह की सौर लहरों की वजह से सूरज की तरफ वाले धरती के हिस्से में हाई फ्रिक्वेंसी रेडियो सिग्नल खत्म हो जाते हैं। इस समय सूरज पर जिस जगह बड़ा सनस्पॉट बना हुआ है। वह धरती की चौड़ाई से 17 गुना ज्यादा है। सूरज की तीव्र सौर लहरों की वजह से धरती के उत्तरी ध्रुव वाले इलाके में वायुमंडल सुपरचार्ज हो गया है। जिससे पूरे उत्तरी गोलार्ध पर कई जगहों पर नॉर्दन लाइट्स देखी गईं।