नयी दिल्ली : सर्च इंजन गूगल ने शनिवार को अपने होमपेज पर रंगीन डूडल के माध्यम से ‘भारत की पहली महिला पहलवान’ के रुप में हमीदा बानो को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। बता दें कि वर्ष 1954 में आज ही के दिन हमीदा बानो ने मशहूर पहलवान बाबा पहलवान को सिर्फ एक मिनट 34 सेकेंड में हरा दिया था। इस हार के बाद जहां बाबा पहलवान ने पेशेवर कुश्ती से संन्यास लेना उचित समझा, वहीं बानू का करियर अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों तक फैल गया और उनकी जीत की चर्चा दुनिया भर में हुई। वर्ष 1900 के दशक की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के पास पहलवानों के एक परिवार में जन्मी बानो ने अपने पूरे करियर में कुल 300 से अधिक प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की। पहलवानी में उनका करियर 1940 और 1950 के दशक में रहा। बानो ने कुश्ती के क्षेत्र में उस दौर में बड़ा नाम कमाया, जब एथलेटिक्स में महिलाओं को भाग लेने से हतोत्साहित किया जाता था।
गूगल ने एक पोस्ट में लिखा कि बानो ने पुरुषों के साथ प्रतिस्पर्धा की और सभी पुरुष पहलवानों को एक खुली चुनौती दी थी कि जो भी उसे हराएगा, वह उससे शादी करेगी। अंतरराष्ट्रीय मैचों में बानो की सफलता से उन्हें और भी प्रशंसा मिली। इनमें से एक मुकाबला रूसी महिला पहलवान वेरा चिस्टिलिन के खिलाफ था, जिसे उन्होंने दो मिनट के भीतर हरा दिया था। वर्षों तक अख़बारों की सुर्खियाँ बटोरने वाली बानो को ‘अलीगढ़ की अमेज़न’ कहा जाने लगा। बता दें कि उनका वजन 108 किलोग्राम था और उनकी लंबाई 5 फुट 3 इंच थी। ‘बानों के दैनिक आहार में 5.6 लीटर दूध, 2.8 लीटर सूप, 1.8 लीटर फलों का रस, एक मुर्गा, लगभग 1 किलोग्राम मटन और बादाम, आधा किलोग्राम मक्खन, 6 अंडे, दो बड़ी रोटियां और दो प्लेट बिरयानी शामिल थी।’ समाचार एजेन्सी रायटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वह 9 घंटे सोती थीं और छह घंटे प्रशिक्षण लेती थीं। अपने समय की पथप्रदर्शक बानो ने न केवल साथी पहलवानों से, बल्कि अपने समय के मानदंडों से भी मुकाबला किया। गूगल ने एक नोट में लिखा है ‘हमीदा बानो अपने समय की अग्रणी महिला थीं और उनकी निडरता को पूरे भारत और दुनिया भर में याद किया जाता है। उनकी खेल उपलब्धियों के अलावा, उन्हें हमेशा खुद के प्रति सच्चा और ईमानदार रहने के लिए याद रखा जाएगा।’