नई दिल्ली: EVM-VVPAT पर विपक्षी पार्टियों द्वारा हो रही सियासत पर आज सुप्रीम कोर्ट ने ब्रेक लगा दिया। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने शुक्रवार(26 अप्रैल) को EVM और VVPAT के 100 फीसदी मिलान वाली याचिका पर अपना फैसला सुनाया। वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के साथ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर डाले गए वोटों के पूर्ण सत्यापन की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। कोर्ट ने VVPAT पर्ची के मिलान से जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि रिजल्ट घोषित होने के 7 दिनों के भीतर प्रत्याशी दोबारा जांच की मांग कर सकता है। इस दौरान माइक्रो कंटोलर की मेमोरी की जांच इंजीनियर करेंगे। इस जांच का खर्च उम्मीदवार को उठाना होगा। कोई भी गड़बड़ी साबित होने की स्थिति में खर्च किया गया पैसा उम्मीदवार को वापस किया जाएगा।
बैलेट पेपर से चुनाव की मांग खारिज
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने फैसला सुनाते हुए चुनाव आयोग को अहम सुझाव भी दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “भविष्य में VVPAT पर्ची में बार कोड पर विचार किया जाना चाहिए।” बेंच के सामने जो याचिकाएं दी गई थीं, उसमें बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग भी की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। पिछली सुनवाई के दौरान ही अदालत ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?
सुप्रीम कोर्ट में हुई पिछली सुनवाई में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने EVM के जरिए डाले गए वोटों का VVPAT के साथ वेरिफिकेशन करने संबंधी वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। बेंच ने चुनाव आयोग की आयोग की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एश्वर्या भाटी से कहा था, ‘‘ हम गलत साबित नहीं होना चाहते, बल्कि अपने निष्कर्षों को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त होना चाहते हैं। इस कारण हमने स्पष्टीकरण मांगने का सोचा..’
VVPAT से क्या होता है ?
वीवीपीएटी के जरिए वोटर यह जान सकते हैं कि उनका वोट उसी व्यक्ति को गया है या नहीं जिन्हें उन्होंने वोट दिया है।
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