कोलकाता : ग्रीष्म ऋतु में ठेलों पर लदे लाल, जामुनी, हरे शहतूत अपने स्वाद के कारण सभी का मन मोहित करते हैं परन्तु बहुत कम लोग जानते हैं कि इनका सेवन को गर्मी के प्रकोप को कम करता है। यदि नकसीर फूट जाए तो शहतूत खाने या उसका शरबत पीने से राहत प्राप्त होती है। अंग्रेजी में मलबरी के नाम से विख्यात यह फल बहुत कम दिनों के लिए बाजार में दिखाई देता है। हरा शहतूत स्वाद में मीठा और लाल जामुनी शहतूत खट्टा-मीठा होता है।शहतूत के फलों को धोकर, डंठल निकाले जाते हैं। गूदे को मसल कर थोडे़ पानी में भीगने दिया जाता है। फिर, खूब मसल कर इसे छान पिया जाता है। इसमें चीनी और बरफ डाल कर पीया जाता है। यह रस या शरबत स्वादिष्ट होता है। तरावट के लिए भी यह शरबत अच्छा होता है।अधिक प्यास लगने पर शहतूत खाना और उसका रस पीना दोनों लाभ पहुंचाते हैं। शहतूत का शरबत ज्वर में पथ्य के रूप में दिया जाता है। यह शांति प्रदान करता है।शहतूत का शरबत खांसी, गले की खराश तथा टांसिल्स में भी लाभदायक होता है। अधिक ताप के कारण गाढ़ा, पीला मूत्र आने लगे तो शहतूत के रस में मिश्री घोलकर पीने से राहत महसूस होती है।कमजोरी महसूस होने पर शहतूत का रस और चुटकी भर प्रवाल भस्म लेने से ताकत आती है। शहतूत के पत्ते और जड़ की छाल को पीसकर प्रतिदिन एक चाय का चम्मच शहद के साथ चाटने से पेट के कीडे़ समाप्त होने लगते हैं। बच्चों के दांत पीसने की बीमारी में भी यह लाभदायक होता है।
गर्मी से बचने का सबसे आसान तरीका है शहतूत, जानिए इसके फायदे
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