‘पिंटू बाबू को इतना गुस्सा क्यों आता है? आखिर क्यों सीएम ममता ने … | Sanmarg

‘पिंटू बाबू को इतना गुस्सा क्यों आता है? आखिर क्यों सीएम ममता ने …

राजनीति के शब्दकोष में ममता ने लाया ‘पिंटू बाबू’ का नाम

कोलकाता : ‘क्या पिंटू बाबू, इतना गुस्सा क्यों आता है ?’ ये पिंटू बाबू कौन है? उसकी पहचान क्या है? मुख्यमंत्री को उनका नाम कैसे पता? गुरुवार को महिला दिवस से पहले निकाली गयी तृणमूल महिला कांग्रेस की रैली के मौके पर यह नाम तृणमूल सुप्रीमो और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भाषण में सुनाई दिया। डोरिना क्रॉसिंग के मंच से ममता ने नाम लिए बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी खेमे पर निशाना साधते हुए कहा, ‘पिंटू बाबू इतना गुस्सा क्यों है?’ तब से ये ‘पिंटू बाबू’ राज्य की राजनीति में चर्चा में बने हुए हैं।मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गुरुवार को कोलकाता की सड़कों पर निकलीं। जुलूस में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी भी शामिल हुए। कॉलेज स्क्वायर से एस्प्लेनेड के डोरिना क्रॉसिंग तक रैली निकाली गयी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने डोरिना क्रॉसिंग के मंच से बीजेपी पर हमला बोला। तभी उन्होंने ‘पिंटू बाबू’ की बातें सुनाई। इस दिन मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इतना गुस्सा क्यों है बीजेपी? बदनाम क्यों करते हो? कल भी बीजेपी नेताओं ने कहा, यहां महिलाएं सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। मैं चुनौती देती हूं कि बंगाल ही एकमात्र ऐसी जगह है, जहां महिलाएं सुरक्षित हैं और यह सबसे सुरक्षित राज्य है।’ क्या पिंटू बाबू इतना गुस्सा क्यों है?’

झूठी राजनीति की जा रही है

हालांकि, ‘पिंटू बाबू’ से उनका तात्पर्य वास्तव में किसकी ओर था, यह उस समय समझ में नहीं आया। इसके बाद ममता ने आगे कहा, ‘हम यहां आधार कार्ड नहीं ले जाने देंगे और ना ही एनआरसी की इजाजत देंगे। मतुआ समुदाय को लेकर जो झूठी राजनीति की जा रही है, हिंदू-मुसलमानों को बांटने की राजनीति है, अनुसूचित-आदिवासियों को बांटने की राजनीति है, ये हम स्वीकार नहीं करेंगे। इसलिए पिंटू बाबू को गुस्सा है बहुत। मैं बीजेपी से कहती हूं, अरे पिंटू बाबू।’ दरअसल, कम ही लोग जानते हैं कि मुख्यमंत्री ने इस टिप्पणी के साथ एक लगभग भूली हुई फिल्म का जिक्र किया है। साल 1980 में सैयद अख्तर मिर्जा की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म ‘एल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है?’ रिलीज हुई थी। मुख्यमंत्री ने मनोरंजन के लिए उस ‘एल्बर्ट पिंटो’ को बांग्ला में ‘पिंटू’ बना दिया। सांसद माला रॉय ने कहा, ‘फिल्म के बारे में हर कोई जानता है। मुख्यमंत्री ने किस असाधारण कौशल से उन्हें बंगाल की धरती पर उतारा है।’ वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने कहा, ‘इस शुद्ध व्यंग्य का हिंदी से बांग्ला में अनुवाद करना केवल ममता के लिए ही संभव है।’

 

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