नई दिल्ली: आज देशभर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती मनाई जा रही है। देश की आजादी में नेताजी की भूमिका सबसे अलग रही। आज पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है। केंद्र सरकार ने साल 2021 में नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया था। साल 1947 में भारत की आजादी से पहले ही सुभाष चंद्र बोस ने भारत की सरकार का गठन कर दिया था। आपको आगे बताते हैं कि किस तरह उन्होंने नई सरकार का गठन किया था।
साल 1943 में अंग्रेजों को दिया था कड़ा संदेश
साल 1947 में देश को अंग्रेजों से आजादी मिली। लेकिन इससे 4 साल पहले ही नेताजी ने भारत की पहली सरकार का गठन कर दिया था। 21 अक्टूबर साल 1943 को आजादी से पहले सिंगापुर में आजाद हिंद सरकार की स्थापना हुई थी। इसमें नेताजी का बड़ा योगदान था। इस कदम से उन्होंने अंग्रेजों को कड़ा संदेश दिया था कि अब भारत में अंग्रेजी शासन ज्यादा दिन नहीं रहने वाला।
कई बड़े देशों से मिली थी मान्यता
सिंगापुर के कैथे भवन में 4 जुलाई 1943 को हुए समारोह में रासबिहारी बोस ने नेताजी को आजाद हिंद फौज की कमान सौंपी थी। इसके बाद 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार की स्थापना हो गई थी। इस सरकार को जापान फिलिपिंस, जर्मनी जैसे करीब 9 देशों से मान्यता भी मिली थी। जानकारी के मुताबिक, सुभाष चंद्र बोस इस सरकार में प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री थे। उन्होंने वित्त विभाग एस.सी चटर्जी को, प्रचार विभाग एस.ए. अय्यर को और महिला संगठन कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन को सौंपा था। इस अस्थायी सरकार ने कई देशों में दूतावास भी खोले थे।
अपना बैंक, डाक टिकट
सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज और अस्थायी सरकार के लिए बैंक था, मुद्रा थी और डाक टिकट भी बनवाया था। पीएम मोदी ने भी कुछ दिनों पहले बोस द्वारा राष्ट्रीय आजाद बैंक, आजाद हिंद रेडियो और रानी झांसी रेजीमेंट के निर्माण को महत्वपूर्ण बताया था। बता दें कि बोस ने आजाद हिंद फौज में उस दौर में महिला यूनिट बनाई जब महिलाओं का घर से निकलना भी मुश्किल था। महिला यूनिट की सिपाहियों को मेडिकल और जासूसी में महारत हासिल थी।
आजाद हिंद फौज की ताकत ?
आजाद हिंद फौज का गठन पहली बार राजा महेंद्र प्रताप सिंह, रास बिहारी बोस एवं निरंजन सिंह गिल ने 29 अक्टूबर 1915 को किया था। इसके बाद सुभाष चंद्र बोस को सौंप दिया गया। विभिन्न रिपोर्ट्स के मुताबिक, तब उनके पास 85 हजार सशस्त्र सैनिक थे। 30 दिसंबर 1943 को अंग्रेजो को हराकर अंडमान-निकोबार में पहली बार तिरंगा फहराया था। ये काम भी सुभाष चंद्र बोस ने ही किया था।