सागर /कोलकाता : सैकड़ों लोग गठरियाँ बाँधे एक कतार में चल रहे हैं। किसी की गोद में छोटा बच्चा है तो किसी के सिर पर बैग तो कोई खाली हाथ ही आगे बढ़ रहा है। पर यह सभी लोग कहां जा रहे हैं? भीड़ के पीछे लंबे समय तक चलने के बाद समझ आया कि सभी लोग श्मशान जा रहे हैं। पर देर रात श्मशान ! यह देख काफी हैरानी हुई। जिस जगह पर दिन के उजाले में जाने में डर लगता हो वहां रात के वक्त सैकड़ों लोग एक साथ चले जा रहे हैं। सागर द्विप पर श्मशान घाट की ओर जाने वाली सड़क पर इक्के दुक्के लोग दिख जाएं पर रात के वक्त सड़क पूरी तरह से विरान पड़ी थी। मकर संक्रांति के अवसर पर सागर में पुण्य स्नान के लिए पूण्यार्थियों की वजह से द्वीप पर काफी चहल पहल है। पुलिस भी सुरक्षा को लेकर सतर्क है। सागरद्वीप पर साधु-संन्यासियों और पूण्यार्थियों का आना लगा हुआ है। लेकिन सागरद्वीप पर ठहरने के बजाय यह सारे लोग श्मशान की ओर बढ़ते चले जा रहे थे। श्मशान जितना नजदिक आ रहा था सड़क उतनी ही वीरान होते जा रही थी। घुप्प अँधेरे में कभी-कभी टिमटिमाती रोशनी आँखों को चकाचौंध कर देती थी। कड़ाके की ठंड में एक-एक करके लोग वीरान रास्ते से होते हुए श्मशान की ओर बढ़ रहे थे। सिर पर शॉल ओढ़ने के बावजूद कोहरे और शीतलहर के बीच कम दृश्यता के कारण रास्ता तय करना काफी कठिन होते जा रहा था। हालाँकि, कुछ देर बाद कतारबद्ध भीड़ एकाएक रूक गई। सामने कुछ पुलिस अधिकारी श्मशान घाट को बैरिकेड्स से घेरे खड़े थे। एक पुलिस अधिकारी ने कतार में खड़े लोगों से सवाल किया, “कहां जा रहे हो? इतनी रात यहां क्या कर रहे हो?” अधिकारी के सवाल को सुन कर कुछ लोग चिंता में दिखे, कुछ देर बाद भीड़ में खड़े एक व्यक्ति ने सवाल का जवाब दिया, “सोने जा रहा हूं बाबू। उधर जगह नहीं मिला। गंगा मैया रूठी हुई हैं। पानी इधर तक आ गया।” भाषाई समस्या की वजह से पुलिस अधिकारी कुछ परेशान दिखे। आख़िर में हाथों के इशारे और टूटी- फूटी जबान से लोगों की परेशानी समझ आयी। दरअसल शनिवार की रात सागर में आए ज्वार के दौरान जिन लोगों ने अनजाने में समुद्र तट पर या उसके आसपास डेरा डाला था, उनका अस्थायी आश्रय खारे पानी से बह गया। देर रात आश्रय डूबने की वजह से लंबी यात्रा कर सागर पहुंचे लोग साथ लाए सामान समेटकर श्मशान घाट की ओर बढ़ चले थे। आश्रय खोने के बाद रात गुजारने के लिए श्मशान में ही मदद मिली !
समुद्र में डूब गया आश्रय तो श्मशान में बितानी पड़ी रात!
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