कोलकाता: शनिवार का दिन शनि देव की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। शनि महाराज अपने भक्तों को अच्छे और बुरे कर्म के अनुसार फल देते हैं। इसलिए शनि देव की पूजा में हुई जरा सी भूल भी आपको भारी पड़ सकती है। फिर चाहे आरती करना ही क्यों न हो।
शनि देव की आरती के नियम
आरती पूजा का ही एक भाग होता है। देवी-देवताओं की पूजा के आखिर में आरती करने का विधान है। क्योंकि आरती के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। लेकिन आरती करने के भी कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। आरती के लिए सबसे पहले थाल सजाई जाती है और घी या कपूर प्रज्जवलित कर भगवान के गुणों का बखान करते हुए गीत (आरती) गाते हुए थाल को घुमाया जाता है। आरती करते समय इस बात का ध्यान रखें कि भगवान के चरणों में चार बार, नाभि की ओर दो बार, मुख के पास एक बार और पूरे शरीर पर सात बार आरती को घुमाना चाहिए। इस दौरान आपके सिर ढके होने चाहिए. श्रद्धापूर्वक और नियमानुसार आरती करने से शनि देव प्रसन्न होकर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
इन बातों का भी रखें ध्यान
शनि देव की आरती करते समय इस बात का ध्यान रखें कि शनि देव की आंखों में नहीं देखना चाहिए इसलिए अपनी नजरें नीचे छुकाकर रखें। वरना शनि देव की बुरी दृष्टि आप पर पड़ सकती है।आरती करते समय शनि देव की प्रतिमा के ठीक सामने नहीं खड़े रहें। शनि देव की पूजा या आरती करने से पहले स्नानादि कर शरीर को पूरी तरह से शुद्ध और स्वच्छ कर लें।