घटनास्थल पर मिले पोटैशियम क्लोरेट, बेरियम नाइट्रेट व एल्युमिनियम के चूरे
क्या तैयार हो रहा था परित्यक्त ईंट-भट्ठा के लैब में ?
सन्मार्ग संवाददाता
बारासात : दत्तोपुकुर के मोचपोल में पटाखा कारखाने से महज कुछ कदमों की दूरी पर ईंट-भट्ठा में तैयार किये गये अस्थायी लैब और घटनास्थल से फॉरेन्सिक की टीम ने नमूने संग्रह किये हैं। साथ ही उस लैब से टेस्ट ट्यूब, बीकार, शीशे से शिल्ड वाले हेलमेट व कई लिक्विड रसायन के कंंटेनर बरामद किये गये जिनमें से अभी भी धुआं निकल रहा था। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा था कि यहां रसायनिक पदार्थो के मेल से भी विस्फोटक बनाने की तैयारी चल रही थी। साथ ही संभव है कि यहां कुछ ट्रेनिंग ली और दी जा रही थी। विस्फोट स्थल से कुछ दूरी पर ही यह लैब जांचकर्ताओं के लिए पहेली बनी हुई है। हालांकि कहा जा रहा है कि यह लैब इस बात की ओर पूरा इशारा कर रही है कि यहां शक्तिशाली विस्फोटक तैयार करने की तैयारी चल रही थी जिसके तार रासायनिक बमों के बनाने से भी जुड़ा हो सकता है। आरोप यह भी है कि यहां आरडीएक्स भी तैयार किये जा रहे थे। दूसरी ओर फॉरेन्सिक की ओर से घटनास्थल से बरामद किये गये नमूनों को संग्रह किये जाने के बाद कहा जा रहा है कि मुख्यतः 3 रसायनों की क्रिया से यह भयावह विस्फोट हुआ जिससे कंक्रीट की इमारत भी ध्वस्त हो गयी। फॉरेन्सिक टीम का कहना है कि घटनास्थल से ज्यादा मात्रा में पोटैशियम क्लोरेट, बेरियम नाइट्रेट व एल्युमिनियम के चूरे मिले हैं। साथ ही पूछताछ के बाद पता चला है कि उस दिन भी कारखाने की छत पर पटाखे के मसाले सुखाये जा रहे थे। इसी से जांचकर्ताओं का अनुमान है कि उस मसाले के पास ही ये रसायन मौजूद थे अथवा उस रसायन को मिलाने के दौरान ही हुई गलती से यह विस्फोट हो गया। विशेषज्ञों का अनुमान है कि पोटैशियम, बेरियम को आसपास रखा गया था जिसमें क्रिया शुरू हुई। ये गैस फिर किसी कारण से पानी के संपर्क में आये जिससे शक्तिशाली हाइड्रोजन गैस बनी जो कि इस विस्फोट का मुख्य कारण हो सकता है। हालांकि विस्फोट के कारणों को लेकर फॉरेन्सिक की टीम की जांच जारी है।
तीन रसायनों की क्रिया से हुआ यह भयावह विस्फोट
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