कोलकाता : पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव में सेंट्रल फोर्सेस की तैनाती का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने बंगाल सरकार और राज्य चुनाव आयोग की याचिका भी खारिज कर दी। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस मनोज मिश्रा की वैकेशनल बेंच ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए कहा- बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा का पुराना इतिहास रहा है। हिंसा के साथ चुनाव नहीं हो सकते। राज्य सरकार और चुनाव आयोग को सेंट्रल फोर्स की तैनाती पर क्या एतराज है।
कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से कहा- स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना आपकी जिम्मेदारी है। फोर्स कहां से आएगी, इसकी चिंता आपको नहीं करनी है। ऐसे में आपकी याचिका तो सुनने लायक ही नहीं है। कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान किसने क्या कहा…
जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। राज्य चुनाव आयोग की तरफ से सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा कोर्ट ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा था।
जस्टिस नागरत्ना: चुनाव कराना हिंसा का लाइसेंस नहीं हो सकता। चुनाव हिंसा के साथ नहीं हो सकते। लोग नामांकन नहीं भर पा रहे हैं, गुटबाजी हो रही है, कुछ लोगों ने नामांकन दाखिल किया है, वह खत्म हो गया है। राज्य चुनाव आयोग ने क्या होमवर्क किया है?
एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा: संवेदनशील मतदान केंद्रों की पहचान की जा चुकी है। मतदान की अधिसूचना 8 जून को जारी की गई थी। 9 जून को सुबह हाईकोर्ट में यह देखे बिना याचिका दायर की जाती है कि क्या हो रहा है।
जस्टिस नागरत्ना: इसके बाद आपने क्या कदम उठाए…?
अरोड़ा: राज्य चुनाव आयोग फोर्स की मांग नहीं कर सकता है। वह केवल राज्य से अनुरोध कर सकता है। हाईकोर्ट का आदेश इसके विपरीत है। HC का कहना है कि चुनाव आयोग फोर्स की तैनाती की मांग करेगा, लेकिन यह राज्य द्वारा किया जाता है न कि SEC द्वारा।
HC का कहना है कि चुनाव आयोग को सभी क्षेत्रों और जिलों में फोर्स प्रदान करना होगा। तैनाती बूथों पर की जानी है, लेकिन यह पूरे जिले के लिए नहीं हो सकती।
जस्टिस नागरत्ना: बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा के इतिहास को देखते हुए HC ने आदेश जारी किया है। यह चुनाव आयोग की मदद के लिए है। आप इससे परेशान क्यों हो रहे।
चुनाव आयोग की वकील: हाईकोर्ट के आदेश में चुनाव आयोग को लेकर सख्ती की गई है।
जस्टिस नागरत्ना: दूसरे पक्ष को सुनने के बाद हम उन टिप्पणियों को हटाने के लिए आदेश दे सकते हैं।
राज्य सरकार : राज्य सरकार के पास पर्याप्त सुरक्षा बल है। अगर जरूरत पड़ी तो अन्य राज्यों से फोर्स मंगाएंगे। पिछली बार CRPF अधिकारियों ने गोलियां चलाई थीं और लोग मारे गए थे।
हाईकोर्ट ने बूथ ही नहीं पूरे जिले में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया है।
जस्टिस नागरत्ना: यह केवल चुनाव कराने के लिए है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश: राज्य एक ही दिन में स्थानीय निकायों के लिए चुनाव करा रहा है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव जरूरी हैं। हाईकोर्ट के आदेश में किसी तरह के दखल की जरूरत नहीं है। याचिका खारिज की जाती है।