‘कृपया मेरी चाय की दुकान पर न करें राजनैतिक चर्चा’ | Sanmarg

‘कृपया मेरी चाय की दुकान पर न करें राजनैतिक चर्चा’

दुकानदार ने कहा, झगड़े में टूट जा रहे हैं गिलास
विधानसभा चुनाव के दौरान भी लगाये थे इस तरह के पोस्टर
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : पंचायत चुनाव होनेवाले हैं। चुनाव से पहले प्रत्याशियों का नामांकन खत्म हो गया है। और इसको लेकर ग्रामगंज के मोहल्ले में चाय की दुकान की बैठकों में जोरदार राजनीतिक कवायद चल रही है। बीच-बीच में कई बार चीजें काफी गर्म हो जाती हैं। बर्दवान के बड़शूल के मंडल दंपति को ऐसे तनाव के माहौल में अपनी ही चाय की दुकान पर बैठक करना और राजनीति की बातें करना बिल्कुल पसंद नहीं है। इसलिए वे दुकान के ग्राहकों को पहले से चेतावनी देने वाले पोस्टर लगा चुके हैं। इसमें साफ तौर पर लिखा है कि आने वाले लोगों से विनम्र निवेदन है कि इस दुकान पर ‘किसी भी राजनीतिक’ चर्चा के लिए न बैठें क्योंकि चुनाव के दिन तय हैं।’
जेठूर चाय की दुकान है प्रसिद्ध अड्डा : बर्दवान के इस पुराने बस स्टैंड पर ‘जेठूर चाय की दुकान’ एक प्रसिद्ध अड्डा है। 76 वर्षीय दुर्जोय मंडल और उनकी पत्नी शत्रुधव भारती मंडल चार दशक से अधिक समय से इस दुकान को चला रहे हैं। उनके घर में एक ही दिव्यांग बेटा है। रोज सुबह ये चाय की दुकान खुल जाती है और रोटी के लिए उनकी लड़ाई शुरू हो जाती है। रात करीब दस बजे तक चलता है। वृद्ध मंडल दंपत्ति की यही दिनचर्या है। चाय की दुकान पर सुबह से ही अलग-अलग उम्र के ग्राहकों का तांता लगा रहा। अपनी चाय के अलावा, वे खेल और राजनीति का अभ्यास करते हैं। सारा तेंदुलकर से शुभमय गिल। आशीष विद्यार्थी लक्ष्मण सेठ से और कुछ बचा नहीं है। चाय की चुस्की लेते हुए तर्क ममता से लेकर मोदी तक जाता है। कभी-कभी बात मारपीट तक आ जाती है। बर्दवान के इस बुजुर्ग दंपत्ति ने इस दौरान उनके दुकान की कांच की चाय की ग्लिास तक टूट जाती है। इस गड़बड़ी से बचने के लिए दुकान में इस तरह के पोस्टर लगा रखे हैं।
क्या कहा दुकानदार ने : भारती मंडल ने कहा कि दुकान की कमाई से किसी तरह गरीब का परिवार गुजारा करता है। मैं नहीं चाहता कि दुकान में राजनीतिक चर्चा अशांति का कारण बने। बाराशूल बाजार में लगे इस पोस्टर को लेकर तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है। हालांकि ‘जेठूर चाय की दुकान’ पर ऐसे पोस्टर लगवाने आने वाले ग्राहकों की संख्या कम नहीं हुई क्योंकि इससे पहले मंडल दंपती ने पिछले विधानसभा चुनाव में भी दुकान बचाने के लिए इसी तरह के पोस्टर दुकान में लगवाए थे।
क्या कहना है लोगों का : हालांकि, ग्राहकों से लेकर राजनीतिक हस्तियों तक, हर कोई बुजुर्ग दंपत्ति के साथ खड़ा है। स्थानीय निवासी सुबोध रॉय ने कहा कि जेठूर की चाय की दुकान पर मैं रोज सुबह चाय पीता हूं। वहां कई मुद्दों पर चर्चा होती है। राजनीति पर भी चर्चा होती है। इसलिए जेठू ने ठीक किया।
क्या कहना है नेताओं का : जिला तृणमूल प्रवक्ता प्रसेनजीत दास ने कहा कि कई बार चाय की दुकानों पर राजनीतिक झगड़े होते हैं। इससे दुकान को नुकसान हो सकता है। तो उन्होंने सही काम किया। भाजपा के जिला महासचिव मृत्युंजय चंद्रा ने कहा कि हालांकि मामला बिल्कुल अलग है, लेकिन यह उनकी पसंद-नापसंद का मामला है।

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