याचिकाकर्ता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि बड़ी मात्रा में ये नोट या तो किसी व्यक्ति की तिजोरी में पहुंच गए हैं या ‘अलगाववादियों, आतंकवादियों, माओवादियों, ड्रग तस्करों, खनन माफियाओं और भ्रष्ट लोगों के पास हैं।’ याचिका में कहा गया कि उक्त अधिसूचना मनमानी, तर्कहीन और संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन करती हैं। आरबीआई (RBI) ने हाईकोर्ट के सामने अपनी अधिसूचना का बचाव करते हुए कहा कि यह नोटबंदी नहीं है, बल्कि एक वैधानिक कार्रवाई है।
हाईकोर्ट में दायर याचिका में रिजर्व बैंक और स्टेट बैंक को यह सुनिश्चित करने का आदेश देने की मांग की गई कि 2000 के नोट संबंधित बैंक खातों में ही जमा किए जाएं। इससे काला धन और आय से अधिक संपत्ति रखने वालों की पहचान की जा सके। पिछली 23 मई से बैंकों में 2000 रुपये के नोट बदलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इससे पहले रिजर्व बैंक ने 19 मई को 2000 के नोट का चलन बंद होने की घोषणा की थी। आपको बता दें कि आप 2000 रुपये के नोटों को बैंक से 30 सितंबर तक बदलवा सकते हैं।