

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद ने बच्चों के बीच जंक फूड और पेय पदार्थों के बढ़ते चलन को उनके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह बताते हुए बृहस्पतिवार को सरकार से ऐसे अति-प्रसंस्कृत (अल्ट्रा-प्रोसेस्ड) खाद्य पदार्थों की रोकथाम के लिए इन पर कर बढ़ाने और बच्चों के लिए इनके विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
तेजस्वी सूर्या ने लोकसभा में शून्यकाल में इस विषय को उठाया
भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने लोकसभा में शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए कहा कि पिछले कुछ सालों से देश में ‘इंस्टेंट नूडल्स’ जैसे अति-प्रसंस्कृत खाद्य और ऐसे पेय पदार्थों की खपत बहुत बढ़ गई है और बच्चे इनका अधिक सेवन कर रहे हैं जिससे मोटापा, मधुमेह और हृदयरोग जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
उन्होंने सरकार से मांग की कि ‘अल्ट्रा-प्रोसेस्ड’ खाद्य पदार्थों की परिभाषा तय की जानी चाहिए और इनकी पैकेजिंग और लेबलिंग की दिशा में काम किया जाना चाहिए जैसा कि कई देशों ने किया है और ऐसे जंक फूड की खपत को कम किया है। सूर्या ने कहा कि ऐसे खाद्य पदार्थों पर कर बढ़ाया जाना चाहिए और बच्चों के लिए ऐसे खाद्य पदार्थों के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ क्या हैं?
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड (Ultra-Processed Foods) वे खाद्य पदार्थ हैं जो औद्योगिक प्रक्रिया से गुजरकर अपने मूल रूप से पूरी तरह बदल चुके होते हैं। NOVA वर्गीकरण के अनुसार, ये समूह-4 के खाद्य पदार्थ हैं जिनमें पांच या इससे अधिक सामग्रियां होती हैं, जिनमें चीनी, नमक, तेल, स्टार्च, प्रिज़र्वेटिव्स, इमल्सीफायर, कृत्रिम रंग-स्वाद और हाइड्रोजनीकृत वसा जैसे योजक प्रचुर मात्रा में मिलाए जाते हैं।
उदाहरण: कोल्ड ड्रिंक, पैकेज्ड नमकीन, ब्रेड, बिस्किट, इंस्टेंट नूडल्स, प्रोसेस्ड चीज़, मीट प्रोडक्ट्स (सॉसेज, नगेट्स), तैयार-से-खाने वाले फ्रोज़न भोजन आदि।इनकी बनावट, स्वाद और शेल्फ-लाइफ बढ़ाने के लिए मूल खाद्य सामग्री को तोड़कर पुनर्निर्मित किया जाता है, जिससे पोषक तत्व कम हो जाते हैं और ये अत्यधिक स्वादिष्ट (hyper-palatable) बन जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन इनके अधिक सेवन को मोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर के बढ़ते जोखिम से जोड़ता है।