

नयी दिल्ली : देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) ने सदियों पुरानी परंपरा को बदलकर नारी शक्ति का परचम लहराया है। महाराष्ट्र निवासी सई जाधव इस ऐतिहासिक अकादमी से पास आउट होकर पहली महिला अधिकारी बनने का गौरव हासिल किया है।
IMA पिछले 93 साल से भारतीय सेना के जांबाज पुरुष अधिकारियों को तैयार करने का गढ़ रही है लेकिन इस साल की दीक्षांत परेड ने ऐसा सुनहरा अध्याय लिखा जिसने सदियों पुरानी परंपरा को बदलकर नारी शक्ति का परचम लहराया है। सई जाधव की यह उपलब्धि केवल एक व्यक्तिगत जीत नहीं है बल्कि यह भारतीय सेना में लैंगिक समानता की दिशा में एक बहुत बड़ा मील का पत्थर है। IMA ने 1932 में अपनी स्थापना के बाद से केवल पुरुष कैडेटों को ही प्रशिक्षित किया था।
हालांकि महिला अधिकारी पहले से ही सेना का हिस्सा रही हैं लेकिन उनकी ट्रेनिंग के रास्ते अलग थे। सई जाधव ने उस दीवार को गिरा दिया है जिसने लंबे समय से इस प्रतिष्ठित संस्थान के दरवाजे महिलाओं के लिए बंद रखे थे। महाराष्ट्र के एक छोटे से कस्बे से निकलकर देश की सबसे कठिन सैन्य अकादमियों में से एक में जगह बनाना और फिर वहां के कठोर प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करना, उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाता है। उनके पिता, जो खुद सेना का हिस्सा रहे हैं, सई के लिए सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत बने।
कठिन प्रशिक्षण, अनुशासन और शारीरिक चुनौतियां
IMA का प्रशिक्षण अपनी कठोरता के लिए दुनिया भर में मशहूर है। वहां के नियम, अनुशासन और शारीरिक चुनौतियां किसी भी इंसान की सीमाओं को पर खती हैं। सई ने इन सभी बाधाओं को पार करते हुए यह साबित कर दिया कि शारीरिक और मानसिक मजबूती का संबंध जेंडर से नहीं, बल्कि लगन से होता है। सई जाधव का सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट में कमिशन होना यह सुनिश्चित करता है कि अब युद्ध के मैदान से लेकर रणनीति बनाने तक हर जगह महिलाओं की भागीदारी और बढ़ेगी।