नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करके, स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करके और घरेलू उद्योग को बढ़ावा देकर भारत सरकार के महत्वाकांक्षी 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' को सक्रिय रूप से समर्थन देने की भी तत्काल आवश्यकता है।
राष्ट्रपति ने कृत्रिम मेधा के उपयोग का आग्रह किया
राष्ट्रपति भवन में उनसे मुलाकात करने आए भारतीय रक्षा लेखा सेवा के अधिकारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने अधिकारियों से नए कौशल सीखने और कृत्रिम मेधा आधारित वित्तीय विश्लेषण जैसे ‘टूल्स’ का उपयोग करने का आग्रह किया, ताकि साक्ष्य-आधारित निर्णय लिए जा सकें और निधियों का कुशल उपयोग सुनिश्चित हो।
युवा अधिकारियों के समक्ष बड़ी जिम्मेदारी
राष्ट्रपति ने कहा, “युवा अधिकारियों के रूप में आप में से कई को अपने करियर की शुरुआत में ही बड़े और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर काम करना होगा। यह एक सम्मान भी है और बड़ी जिम्मेदारी भी। आपसे ईमानदारी के सर्वोच्च मानकों को बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है।” उन्होंने कहा कि निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही हर निर्णय का मार्गदर्शन करनी चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा, “यह याद रखें कि विश्वास लोक सेवा की नींव है और इसकी रक्षा अटूट प्रतिबद्धता के साथ की जानी चाहिए।’’
कुशल और सटीक निर्णय लेने की जरुरत
उन्होंने कहा कि बदलता भू-राजनीतिक वातावरण और उभरती सुरक्षा चुनौतियां त्वरित, अधिक कुशल और सटीक निर्णय लेने की मांग करती हैं। इस संदर्भ में, रक्षा लेखा विभाग को निरंतर अनुकूलन, नवाचार और आधुनिकीकरण करना चाहिए। उन्होंने कहा, “स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करके, स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करके और घरेलू उद्योग को बढ़ावा देकर भारत सरकार के महत्वाकांक्षी 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' को सक्रिय रूप से समर्थन देने की भी तत्काल आवश्यकता है। भारतीय रक्षा लेखा सेवा के अधिकारी भी एक आत्मनिर्भर और मज़बूत रक्षा पारिस्थितिकी-तंत्र के निर्माण में योगदान दे सकते हैं।’’