विपक्षी सांसदों ने श्रम संहिताओं के खिलाफ संसद परिसर में प्रदर्शन किया

श्रम संहिताओं के विरोध में संसद परिसर में विपक्ष का जोरदार प्रदर्शन, सरकार से कानून वापस लेने की मांग
विपक्षी सांसदों ने श्रम संहिताओं के खिलाफ संसद परिसर में प्रदर्शन किया
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नई दिल्ली: विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के कई घटक दलों के सांसदों ने हाल ही में लागू चार श्रम संहिताओं के खिलाफ बुधवार को संसद परिसर में प्रदर्शन किया और इन्हें वापस लेने की मांग की। विपक्षी सांसद संसद के 'मकर द्वार' के निकट एकत्र हुए और इन संहिताओं एवं सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने हाथों में तख्तियां लेकर "मजदूर विरोधी कानून वापस लो" के नारे लगाए।

सोनिया, राहुल, खड़गे सहित अन्य दल के नेताओं ने भाग लिया

कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कुछ अन्य दलों के प्रमुख नेता इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।

श्रम संहिता सुधर को सरकार ने ऐतिहासिक बताया था

केंद्र ने बीते 21 नवंबर को 2020 से लंबित चार श्रम संहिताओं को लागू कर दिया, जिनमें सभी के लिए समय पर न्यूनतम वेतन और सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा जैसे श्रमिक-अनुकूल उपायों को शामिल किया गया है, जिसमें गिग श्रमिक और प्लेटफॉर्म श्रमिक भी शामिल हैं। वहीं, लंबे समय तक काम करने के घंटे, व्यापक निश्चित अवधि के रोजगार और नियोक्ता के अनुकूल छंटनी के नियमों की अनुमति भी दी गई है।

गिग वर्कर्स कौन हैं ?

‘गिग वर्कर्स’ उन श्रमिकों को कहा जाता है जिनका काम अस्‍थायी होता है। प्लेटफ़ॉर्म श्रमिक वे व्यक्ति हैं जो ऑनलाइन या डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म (जैसे ऐप या वेबसाइट) के माध्यम से सेवाएं प्रदान करते हैं, जैसे कि ओला, उबर, स्विगी या ज़ोमैटो के ड्राइवर और डिलीवरी एजेंट। ये श्रमिक पारंपरिक रोजगार अनुबंधों के तहत नहीं होते और अक्सर गिग इकोनॉमी का हिस्सा होते हैं।

गौरतलब है कि बीते दो दिनों से SIR मुद्दे को लेकर लोकसभा और राज्यसभा कई बार स्थगित करनी पड़ी थी और सदन का सत्र नहीं चला था। जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के नेतृत्व में सर्वदलीय मीटिंग बुलाई गई और आम सहमति बनी कि SIR और वंदे मातरम मुद्दे पर अगले हफ्ते चर्चा होगी। जिसके बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि सदन का कार्य सुचारु रूप से चलेगा लेकिन आज श्रम सुधर कानूनों को लेकर जिस प्रकार से विपक्ष ने प्रदर्शन शुरू किया है, उससे आज भी सदन के चलने पर संशय खड़ा हो गया है।

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