

नई दिल्ली: तेरह दिसंबर का दिन इतिहास में देश के संसद पर हुए आतंकी हमले के कारण बड़ी घटना के तौर पर दर्ज है। 2001 में 13 दिसंबर की सुबह आतंक का काला साया देश के लोकतंत्र की दहलीज तक आ पहुंचा था। देश की राजधानी के बेहद महफूज माने जाने वाले इलाके में शान से खड़े संसद भवन में घुसने के लिए आतंकवादियों ने सफेद रंग की एम्बेसडर का इस्तेमाल किया और सुरक्षाकर्मियों की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब रहे, लेकिन उनके कदम लोकतंत्र के मंदिर को अपवित्र कर पाते उससे पहले ही सुरक्षा बलों ने उन्हें ढ़ेर कर दिया।
संसद हमले की 24वीं बरसी: राष्ट्र ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि
आज भारतीय संसद पर 2001 में हुए आतंकी हमले की 24वीं बरसी मनाई गई। इस अवसर पर पूरे देश ने उन वीर सुरक्षाकर्मियों को याद किया जिन्होंने लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि 2001 के संसद हमले में शहीद हुए जवानों का बलिदान राष्ट्र को सदैव प्रेरित करता रहेगा।
श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन
संसद भवन परिसर में एक विशेष श्रद्धांजलि समारोह आयोजित की गयी। उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने संसद सदस्यों का नेतृत्व करते हुए शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे पहले श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों में शामिल थे। इस दौरान सीआईएसएफ जवानों ने सलामी दी और मौन धारण कर शहीदों को याद किया गया। समारोह में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, पीयूष गोयल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
विपक्षी नेताओं की उपस्थिति
इस समारोह में राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर सभी दल एकजुट नजर आए। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी मौजूद रहीं। राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने भी शहीदों को नमन किया। यह दृश्य लोकतंत्र की मजबूती और आतंकवाद के खिलाफ एकता का प्रतीक बना।
2001 के हमले की याद
13 दिसंबर 2001 को जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकियों ने संसद भवन पर हमला किया था। नकली गाड़ी और पास से घुसे इन आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की। सुरक्षाबलों की बहादुरी से हमला नाकाम हो गया, लेकिन 9 लोग शहीद हो गए— 6 दिल्ली पुलिसकर्मी, 2 संसद सुरक्षा कर्मी और 1 माली। सभी आतंकी मारे गए। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था।