तकनीकी ही नहीं, सामाजिक नवप्रवर्तक भी पुरस्कार के योग्य : सुधा मूर्ति

मूर्ति ने कहा, “मैं भारत सरकार से अनुरोध करती हूं कि सामाजिक नवाचार के लिए एक नई पुरस्कार श्रेणी शुरू की जाए, ताकि सामाजिक नवप्रवर्तकों को पहचान और सम्मान मिल सके और इसका लाभ पूरे समाज को हो।”
तकनीकी ही नहीं, सामाजिक नवप्रवर्तक भी पुरस्कार के योग्य : सुधा मूर्ति
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नई दिल्ली: राज्यसभा में नाम निर्देशित सदस्य सुधा मूर्ति ने बृहस्पतिवार को सामाजिक नवप्रवर्तकों को भी पहचान और सम्मान देने की पुरजोर वकालत की। उन्होंने कहा कि तकनीकी उपलब्धियों को जहां व्यापक सराहना मिलती है, वहीं रोजमर्रा की समस्याओं के समाधान देने वाले नवाचारों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

शून्यकाल के दौरान सुधा मूर्ति ने उठाया मुद्दा

उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए सुधा मूर्ति ने कहा कि इडली ग्राइंडर जैसे नवाचारों ने लोगों, विशेषकर महिलाओं के जीवन में बड़ा परिवर्तन किया है, लेकिन ऐसे आविष्कारकों को भुला दिया गया है। उन्होंने कहा, “तकनीकी नवाचार करने पर आपकी उपलब्धियों का सम्मान होता है, पुरस्कार मिलते हैं, लोग तालियां बजाते हैं, लेकिन अन्य उपलब्धियों के लिए लोग ध्यान भी नहीं देते।”

वैश्विक उदाहरणों का उल्लेख किया

मूर्ति ने वैश्विक उदाहरणों का उल्लेख करते हुए जापानी आविष्कारक का जिक्र किया, जिसने क्यूआर कोड बनाया और उसका पेटेंट नहीं कराया, ताकि दुनिया भर में इसका मुक्त उपयोग हो सके। सदस्य ने कहा, “उन्होंने इसे मुफ्त रखने की बात कही…। आज हमारी और वैश्विक अर्थव्यवस्था बहुत अच्छी तरह चल रही है। लेकिन जापानी आविष्कारक ने यह काम ‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’ की भावना से किया।”

सामाजिक नवाचार के लिए विशेष पुरस्कार श्रेणी हो

नाम निर्देशित सदस्य ने बताया कि सरकार ने विभिन्न श्रेणियों में कई पुरस्कार शुरू किए हैं—कॉर्पोरेट कार्य विभाग से लेकर वाणिज्य और उद्योग विभाग के तकनीकी पुरस्कार तक, लेकिन सामाजिक नवाचार के लिए कोई विशेष पुरस्कार श्रेणी नहीं है। मूर्ति ने कहा, “मैं भारत सरकार से अनुरोध करती हूं कि सामाजिक नवाचार के लिए एक नई पुरस्कार श्रेणी शुरू की जाए, ताकि सामाजिक नवप्रवर्तकों को पहचान और सम्मान मिल सके और इसका लाभ पूरे समाज को हो।”

पुरस्कर से बढ़ता है मनोबल

सामाजिक क्षेत्र में अपने अनुभव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने स्वयं ऐसे पुरस्कार शुरू किए हैं और उनके सकारात्मक प्रभाव देखे हैं। शून्यकाल में ही बीआरएस के रविचंद्र वद्दीराजू, तृणमूल कांग्रेस की सागरिका घोष, द्रमुक सदस्य कनिमोई एनवीएन शोमू, भाजपा की ममता मोहंता, डॉ के लक्ष्मण और आदित्य प्रसाद ने भी आसन की अनुमति से लोक महत्व से जुड़े अपने-अपने मुद्दे उठाए।

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