मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस बुधवार को उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे के दलों के बीच हुए गठबंधन को ज्यादा तवज्जो न देते हुए कहा कि इससे कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा और वे खुद का राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए साथ आए हैं। शिवसेना (उबाठा) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने आठ महीने से जारी अटकलों पर विराम लगाते हुए 15 जनवरी को होने वाले बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव के लिए बुधवार को औपचारिक रूप से दोनों दलों के बीच गठबंधन की घोषणा की।
दोनों भाई भ्रष्टाचार और स्वार्थ के प्रतीक
घोषणा होने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए फडणवीस ने कहा, “उनका ट्रैक रिकॉर्ड केवल भ्रष्टाचार और स्वार्थ का रहा है। उनका गठबंधन सिर्फ केवल अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए और इससे कोई महत्वपूर्ण राजनीतिक फर्क नहीं पड़ेगा। यदि कोई इसके विपरीत सोचता है, तो यह बचकानी सोच है। लोग इसके प्रभाव में नहीं आएंगे।”
महायुति सरकार मजबूत
उन्होंने कहा, “मुंबई हमारी सरकार के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी। लोग महायुति सरकार के प्रदर्शन, उसके भविष्य के दृष्टिकोण और यह सुनिश्चित करने के प्रयास को देखेंगे कि मराठी लोगों को शहर में आवास मिले।” मुख्यमंत्री ने मुंबई में ठाकरे बंधुओं के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को लेकर जारी हलचल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह सब फिजूल है।
उन्होंने कहा, “टेलीविजन समाचार चैनल ऐसी खबरें दिखा रहे थे कि मानो यह रूस-यूक्रेन का गठबंधन हो।” फडणवीस ने कहा, “ठाकरे मराठी लोगों और मुंबई के अकेले प्रतिनिधि नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि उनके अहंकार की वजह से ही मुंबई के नागरिक उनसे दूर चले गए हैं।
BMC चुनाव में जनता उद्धव ठाकरे को नकार देगी
फडणवीस ने शिवसेना (उबाठा) के प्रमुख पर निशाना साधते हुए कहा, “उद्धव ठाकरे को नगर निकाय पर 25 साल के कुशासन के बारे में जवाब देना होगा। पुराने पापों को मिटाया नहीं जा सकता। मैं जन्म से ही हिंदुत्ववादी हूं और इसी रूप में मरूंगा। मैं वह नहीं हूं, जो वोटों के लिए केसरिया चोला पहनकर राजनीतिक रुख बदलता है।”
उन्होंने कहा, “मुंबई और महाराष्ट्र के लोग हिंदुत्ववादी हैं, और जो लोग तुष्टिकरण में लिप्त रहते हैं और हिंदुत्व की विचारधारा से भटक गए हैं, उन्हें विधानसभा चुनावों में परिणाम भुगतना पड़ा। हमारा हिंदुत्व संकीर्ण नहीं है। यह भारतीय जीवन का तरीका है।” अविभाजित शिवसेना ने बीएमसी पर दो दशकों से अधिक समय तक शासन किया।