

नयी दिल्ली : रेलवे बोर्ड ने सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए बड़ा कदम उठाते हुए कहा है कि अब जो लोको पायलट या सहायक लोको पायलट साइको टेस्ट (मनोवैज्ञानिक परीक्षण) में फेल होंगे, उन्हें ट्रेन चलाने की ड्यूटी से हटा दिया जायेगा। ऐसे कर्मचारियों को रेलवे में ही क्लर्क, कंट्रोलर या अन्य प्रशासनिक और तकनीकी पदों पर तैनात किया जायेगा। रेलवे का कहना है कि यह कदम हर साल मानवीय चूक से होने वाले लगभग 60 फीसदी हादसों को रोकने में मदद करेगा।
अनिवार्य साइको टेस्ट अगस्त 2025 से लागू
रेलवे बोर्ड ने अगस्त 2025 से सभी लोको पायलट और सहायक पायलटों के लिए साइको टेस्ट अनिवार्य कर दिया है। इसमें फेल पायलटों को तुरंत रनिंग ड्यूटी (ट्रेन संचालन) से हटाया जायेगा। रेलवे यूनियन और पायलट एसोसिएशन ने इस फैसले का विरोध किया था लेकिन बोर्ड अपने रुख पर कायम रहा।
बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि साइको टेस्ट में असफल पाये गये पायलट अब मानसिक रूप से सुरक्षित ट्रेन संचालन के योग्य नहीं माने जायेंगे। उन्हें 30 फीसदी रनिंग भत्ते का लाभ भी नहीं मिलेगा क्योंकि यह भत्ता उन्हीं ड्यूटीज के लिए है जिन्हें वे अब नहीं कर पायेंगे।लोको पायलटों को यह अतिरिक्त भत्ता उनकी कठिन, अनियमित और तनावपूर्ण ड्यूटी के कारण दिया जाता है। उनकी ड्यूटी का समय तय नहीं होता, उन्हें कभी भी, दिन या रात, बुलाया जा सकता है।
क्या है साइको टेस्ट?
साइको टेस्ट यह जांचने के लिए किया जाता है कि पायलट मानसिक रूप से सतर्क और निर्णय लेने में सक्षम है या नहीं। इसमें कई चरण शामिल होते हैं मसलन ध्यान केंद्रित करने की क्षमता पायलट लंबे समय तक सिग्नल, ट्रैक और स्पीड पर ध्यान रख सकता है या नहीं।
त्वरित प्रतिक्रिया यानी खतरे के संकेत पर कितनी तेजी से ब्रेक लगाने या सही निर्णय लेने की क्षमता। चयनात्मक ध्यान टेस्ट यानी कई सूचनाओं में से जरूरी जानकारी को पहचानने और उस पर प्रतिक्रिया देने की योग्यता। संख्यात्मक व तार्किक क्षमता : ट्रेन संख्या, गति सीमा और ट्रैक की जानकारी को सटीकता से समझने की क्षमता।