जयराम रमेश ने सरकार के श्रम संबंधी सुधार को बता दिया छल, आखिर क्यों ?

कांग्रेस नेता ने कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार कानून होना चाहिए जो 25 लाख रुपये का सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करेगा। मोदी सरकार को कर्नाटक और पूर्ववर्ती राजस्थान सरकार से सीखना चाहिए।
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नई दिल्ली : कांग्रेस में शनिवार को दावा किया कि श्रम संबंधी 29 मौजूदा कानूनों को चार संहिताओं में समाहित करके नए रूप में पेश कर दिया गया और इसे एक क्रांतिकारी सुधार के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को कर्नाटक की कांग्रेस सरकार और राजस्थान की पूर्व कांग्रेस सरकार से सामाजिक सुरक्षा उपायों के संबंध में सीख लेनी चाहिए।

सरकार ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में चार श्रम संहिताओं को तत्काल प्रभाव से लागू करने की घोषणा की। इनके जरिये 29 मौजूदा श्रम कानूनों को तर्कसंगत बनाया गया है। ये चार श्रम संहिताएं – वेतन संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 तथा व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशाएं संहिता, 2020 हैं।

रमेश ने 'X' पर पोस्ट किया, '29 मौजूदा श्रम संबंधी कानूनों को चार संहिताओं में समाहित करके नए रूप में पेश कर दिया गया है। इसे क्रांतिकारी सुधार के रूप में प्रचारित किया जा रहा है जबकि नियमों को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है।' उन्होंने सवाल किया कि क्या ये संहिताएं श्रमिक न्याय के लिए भारत के श्रमिकों की पांच आवश्यक मांगों को वास्तविकता बना देंगे?

रमेश का कहना है कि इन मांगों में राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी 400 रुपये प्रति दिन करने की बात भी है और इसमें मनरेगा भी शामिल है। कांग्रेस नेता ने कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार कानून होना चाहिए जो 25 लाख रुपये का सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करेगा।

रमेश के अनुसार, शहरी क्षेत्रों के लिए रोजगार गारंटी अधिनियम हो, जीवन बीमा और दुर्घटना बीमा सहित सभी असंगठित श्रमिकों के लिए व्यापक सामाजिक सुरक्षा दी जाये और मुख्य सरकारी कार्यों में रोजगार की ठेकेदारी को रोकने की प्रतिबद्धता होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को कर्नाटक की कांग्रेस सरकार और राजस्थान में पूर्व कांग्रेस सरकार के उदाहरणों से सीखना चाहिए, जिन्होंने नई संहिताओं से पहले अपने अभूतपूर्व गिग वर्कर कानूनों के साथ 21वीं सदी के लिए श्रम सुधार का बीड़ा उठाया।

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