गोवा नाइटक्लब आग में नया खुलासा, क्लब 20 साल से अवैध गतिविधियों में था शामिल

गोवा नाइटक्लब आग में नया खुलासा, क्लब 20 साल से अवैध गतिविधियों में था शामिल

भूखंड के मूल मालिक बरसों से अवैध गतिविधियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।
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पणजी: उत्तरी गोवा स्थित ‘बर्च बाय रोमियो लेन’ नाइटक्लब में लगी भीषण आग में 25 लोगों की मौत के बाद भूखंड के मूल मालिक प्रदीप घाड़ी अमोणकर ने मंगलवार को दावा किया कि वह पिछले 20 साल से इस नाइटक्लब की अवैध गतिविधियों के खिलाफ लगातार कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

अमोणकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उन्होंने 1994 में यह जमीन खरीदी थी और 2004 में सुरिंदर कुमार खोसला के साथ बिक्री समझौता किया था, जो भुगतान न करने के कारण रद्द हो गया। इसके बावजूद खोसला ने जमीन पर नाइटक्लब शुरू कर दिया, जिसे बाद में ‘बर्च बाय रोमियो लेन’ के मालिक सौरभ और गौरव लूथरा ने ले लिया।

क्लब के खिलाफ शिकायत भी दर्ज थी

अमोणकर ने सुनील दिवकर के साथ मिलकर क्लब की अवैध गतिविधियों के संबंध में स्थानीय आरपोरा-नागोआ पंचायत में शिकायत दर्ज कराई थी। पंचायत ने 2024 में खोसला को निर्माण ध्वस्त करने का नोटिस भी जारी किया, लेकिन खोसला ने पंचायत निदेशालय से उस आदेश पर स्थगन प्राप्त कर लिया। अमोणकर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके खोसला को इस पूरे मामले का मुख्य आरोपी बताया।

20 साल से कोर्ट में केस चल रहा है

उन्होंने कहा, ‘‘मैं पिछले 20 साल से खोसला के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा हूं, जो मेरी इस जमीन में हर तरह की अवैध गतिविधियों में लिप्त रहा है।’’ पणजी से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित नाइट क्लब में शनिवार देर रात भीषण आग लगने से 25 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में नाइटक्लब के 20 कर्मचारी और पांच पर्यटक शामिल थे जिनमें से चार दिल्ली के थे।

सरपंच को जिम्मेदार ठहराया गया है

इस बीच, राज्य के अधिकारियों ने अवैध गतिविधि जारी रखने की अनुमति देने के लिए स्थानीय पंचायत को जिम्मेदार ठहराया है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने सोमवार को बताया कि सरपंच ने नाइटक्लब को बिजली कनेक्शन, पानी कनेक्शन, इमारत की मरम्मत और व्यापार लाइसेंस समेत कई अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) दिए थे।

इसने कहा कि सबसे गंभीर बात यह है कि नाइटक्लब का व्यापार लाइसेंस मार्च 2024 में ही समाप्त हो चुका था, फिर भी इसका संचालन जारी रहा। गोवा पंचायत राज अधिनियम की धारा 72-ए के तहत स्थानीय निकाय (पंचायत) को ऐसी अवैध रूप से संचालित परिसंपत्तियों को सील करने का अधिकार प्राप्त है, लेकिन वे ऐसा करने में विफल रहे।

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