SIR करवाना चुनाव आयोग का अधिकार व दायित्व: नड्डा

संवैधानिक संस्थाओं के अधिकार पर प्रश्न खड़ा कर रही है कांग्रेस
SIR करवाना चुनाव आयोग का अधिकार व दायित्व: नड्डा
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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) समय-समय पर मतदाता सूची को शुद्ध करने के निर्वाचन आयोग के संवैधानिक अधिकारों के अंतर्गत आता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पात्र मतदाता सूची से बाहर नहीं हो और किसी भी अपात्र मतदाता का नाम इसमें शामिल नहीं हो।

कांग्रेस संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान नहीं करती

चुनाव सुधारों पर उच्च सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए नड्डा ने यह माहौल बनाने के लिए कांग्रेस पर हमला बोला कि एसआईआर के नाम पर देश में बड़े पैमाने पर धांधली हो रही है। उन्होंने सीधे तौर पर कांग्रेस का नाम लिए बिना कहा कि उस समय निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता पर कोई सवाल नहीं उठाया गया जब इसकी कार्यप्रणाली और कार्य ‘‘एक परिवार द्वारा संचालित पार्टी द्वारा नियंत्रित’’ थे।

मतदाता सूची को शुद्ध और दुरुस्त करना आयोग का कर्तव्य

सदन के नेता नड्डा ने कहा, ‘‘एसआईआर विशेष गहन पुनरीक्षण है जो निर्वाचन आयोग के संवैधानिक अधिकारों के तहत आता है। मतदाता सूची को समय-समय पर शुद्ध और दुरुस्त करना आयोग का कर्तव्य है।" उन्होंने कहा, ‘‘जब मतदाता सूची तैयार करने की बात आती है, तो संविधान स्पष्ट रूप से निर्वाचन आयोग को चुनाव कराने का अधिकार देने के साथ-साथ सशक्त बनाता है।’’

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वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि संविधान यह भी कहता है कि किसी भी पात्र मतदाता को सूची से बाहर नहीं किया जाना चाहिए और किसी भी अपात्र मतदाता को मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

SIR नया नहीं है

उन्होंने कहा कि एसआईआर नया नहीं है और यह 1952 से भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा रहा है। यह 1952, 1957 और 1961 में कराया गया था, जब जवाहरलाल नेहरू प्रधान मंत्री थे। 1965 में, जब लालबहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे। 1983 में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। 1987 और 1989 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। उन्होंने कहा कि 2002 में और 2004 में भी कराया गया।

कांग्रेस के शासनकाल में भी SIR हुए हैं

नड्डा ने कहा, ''अटल जी को छोड़कर, जब भी एसआईआर किया गया, प्रधानमंत्री कांग्रेस से थे।'' उन्होंने कहा कि संविधान के तहत आयोग के पास समय-समय पर मतदाता सूची को सत्यापित करने की शक्ति है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग के लिए एसआईआर कराना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि 2010 के बाद से किसी मतदाता का नाम नहीं हटाया गया था।

मोदी सरकार चर्चा से नहीं भागती

नड्डा ने सरकार के एसआईआर पर चर्चा नहीं कराने के विपक्ष के आरोप पर भी पलटवार किया और कहा कि मोदी सरकार संसद में किसी भी मुद्दे पर चर्चा से कभी नहीं भागती है। उन्होंने कांग्रेस और विपक्षी दलों पर निर्वाचन आयोग और ईवीएम को निशाना बनाकर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया।

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