नोनी में बना विश्व का सबसे उंचा रेलवे पियर ब्रिज

गोरखा टेरियर्स की सुरक्षा में रचा गया इतिहास
मणिपुर के नोनी में तैयार किया गया विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे पियर ब्रिज
मणिपुर के नोनी में तैयार किया गया विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे पियर ब्रिज
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कोलकाता : भारतीय सेना ने एक बार फिर राष्ट्र-निर्माण में अपने साइलेंट वॉरियर की भूमिका को साबित किया है। 107 इन्फैंट्री बटालियन (टेरीटोरियल आर्मी) 11 गोरखा राइफल्स, जिन्हें गोरखा टेरियर्स के नाम से जाना जाता है, ने मणिपुर के नोनी में विश्व के सबसे उंचे रेलवे पियर ब्रिज के निर्माण के दौरान सुरक्षा और ऑपरेशनल समर्थन प्रदान कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि में अहम भूमिका निभाई।

पूर्वी कमान के अधीन कार्यरत गोरखा टेरियर्स ने इस पुल के निर्माण के दौरान लगातार सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखी, जिससे यह परियोजना आतंकवाद प्रभावित और दुर्गम इलाके में भी निर्बाध रूप से पूरी हो सकी। खराब मौसम और चुनौतियों भरे हालात में भी उनके अनुशासन और समर्पण ने कार्य को रोके बिना आगे बढ़ने दिया।

निमार्ण कार्य के दौरान तैनात गोरखा टेरियर्स के जवान
निमार्ण कार्य के दौरान तैनात गोरखा टेरियर्स के जवान

25 अप्रैल 2025 को इस रिकॉर्ड-तोड़ संरचना का अंतिम स्पैन सफलतापूर्वक स्थापित किया गया, जो न केवल इंजीनियरिंग का अद्वितीय उदाहरण है, बल्कि सिविल-मिलिट्री सहयोग और राष्ट्रीय संकल्प का प्रतीक भी है।

यह पुल बीबीजे कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (भारत सरकार का उपक्रम) द्वारा भारतीय रेलवे के तहत निर्मित किया गया है और यह जिरीबाम–तुपुल–इंफाल रेलवे लाइन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो पूर्वोत्तर भारत के लिए एक रणनीतिक और विकासात्मक जीवनरेखा मानी जाती है।

निमार्ण कार्य के दौरान तैनात गोरखा टेरियर्स के जवान
निमार्ण कार्य के दौरान तैनात गोरखा टेरियर्स के जवान

जहाँ एक ओर यह पुल भारत की तकनीकी क्षमता का प्रतीक बन चुका है, वहीं इसके पीछे गोरखा टेरियर्स की निःस्वार्थ सेवा और सतर्कता को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। उन्होंने सिर्फ पारंपरिक सैन्य भूमिका ही नहीं निभाई, बल्कि यह दिखा दिया कि भारतीय सेना किस प्रकार से देश के सुदूर और संवेदनशील क्षेत्रों में विकास कार्यों का मजबूत सहायक बन सकती है।

नोनी में इस ब्रिज का निर्माण केवल तकनीकी कौशल की विजय नहीं, बल्कि गोरखा टेरियर्स के समर्पण और साहस को भी एक सच्ची सलामी है।

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