मरीजों के साथ सही व्यवहार करें : नर्सों को स्वास्थ्य विभाग का निर्देश

मरीजों के साथ सही व्यवहार करें : नर्सों को स्वास्थ्य विभाग का निर्देश
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सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी अस्पतालों में कार्यरत नर्सिंग कर्मियों को मरीजों की देखभाल के दौरान अपेक्षित व्यवहार के "एबीसीडी" का पालन करने का निर्देश दिया है। गुरुवार को जारी सर्कुलर में नर्सों को मरीजों और उनके परिजनों के साथ करुणा और सहानुभूति के साथ व्यवहार करने का निर्देश दिया गया। सर्कुलर में यह भी स्पष्ट किया गया कि अनुचित व्यवहार की शिकायत पर संबंधित कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि डॉक्टरों और मरीजों या उनके परिजनों के बीच टकराव के जैसे मामले सामने आते हैं, वैसे ही नर्सों और मरीजों के बीच भी मतभेद के मामले देखे गए हैं। इन विवादों का कारण अक्सर सॉफ्ट स्किल्स की कमी होती है, न कि मरीजों की देखभाल में कमी।
एबीसीडी के सिद्धांत :
सर्कुलर में "एबीसीडी" का विस्तार करते हुए बताया गया है कि नर्सिंग कर्मियों को:
1. ए : सही दृष्टिकोण (एटिट्यूड) अपनाना होगा।
2. बी : सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार (कम्पैशेनेट बिहेवियर) दिखाना होगा।
3. सी : सौम्य संवाद कौशल (सॉफ्ट कम्यूनिकेशन ​​​िस्क्ल्स) अपनाना होगा।
4. डी : समर्पण और अनुशासन (डेडिकेशन एंड डिसिप्लिन) के साथ कार्य करना होगा।
सर्कुलर के अनुसार, सभी नर्सिंग कर्मियों को मरीजों की गोपनीयता और भावनाओं का सम्मान करते हुए उनकी देखभाल करनी चाहिए। सर्कुलर में यह भी कहा गया कि नर्सिंग प्रशासक सेवाओं के उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए सतर्क और चौकस रहें।
स्टाफ की कमी एक बड़ी चुनौती :
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि बीते कुछ वर्षों में नर्सिंग स्टाफ की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन अभी भी आदर्श अनुपात से काफी कमी है। सामान्य परिस्थितियों में एक नर्स को तीन मरीजों की देखभाल करनी चाहिए, लेकिन सरकारी अस्पतालों में एक नर्स 50 से अधिक मरीजों की देखभाल करने के लिए मजबूर है।
नर्सों का पक्ष :
नर्सेज यूनिटी की प्रतिनिधि ने कहा, "हर नर्स को मरीजों की देखभाल में यह सिद्धांत का पालन करना सिखाया जाता है। हालांकि, स्वास्थ्य सेवाओं की गिरती स्थिति के लिए नर्सों को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। कई बार टकराव स्थानीय नेताओं द्वारा भड़काए जाते हैं।"

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